अनोखा तीर इंदौर:-शहर को भिक्षावृत्ति मुक्त बनाने के लिए लंबे समय से प्रयास हो रहे हैं, लेकिन भिक्षावृत्ति कर रहे कुछ परिवार और महिलाओं ने इसे जरूरत नहीं अपनी आय का जरिया बना लिया है। हाल ही में महिला बाल विकास विभाग और संस्था प्रवेश द्वारा राजस्थान से इंदौर आकर भीख मांगकर लाखों रुपये कमाने वाली महिला पर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत कार्रवाई की जा रही है। महिला को सोमवार को न्यायालय में पेश किया जाएगा।
वर्तमान में परदेशीपुरा के भिक्षुक पुर्नवास केंद्र में रह रही महिला राजस्थान के कंठकटा गांव की निवासी है। काउंसिलिंग में महिला ने बताया कि राजस्थान में इसके गांव से 100 से अधिक लोग भीख मांगने के लिए आए थे। जब कभी भी प्रशासन की कार्रवाई होती है तो ये एक या दो दिन के लिए छुप जाते थे और भीख मांगने नहीं जाते थे। संस्था प्रवेश की संचालक रूपाली जैन के मुताबिक, महिला बैशाखी का सहारा लेकर भीख मांगती थी। जब उसे पकड़ा जाता था तो वह बैशाखी छोड़कर भाग जाती थी।
महिला पर हो रही इस कार्रवाई के कारण अब राजस्थान से इसके साथ आए भिक्षावृत्ति में लिप्त लोग पलायन कर गए हैं। महिला का पति भी दो बच्चों को लेकर राजस्थान जा चुका है। पति फोन पर गुजारिश कर रहा है कि महिला को छोड़ दिया जाए। आगे वह इंदौर में भिक्षावृत्ति नहीं करेगी। गौरतलब कि महिला ने भीख मांगकर ढाई लाख रुपये जमा किए थे और उसमें से 50 हजार रुपये की एफडी भी बच्चे के नाम पर करवाई थी।
दो बेटे इलेक्ट्रीशियन, मां पोते-पोती को लेकर भीख मांगने आती
भिक्षुकों को रेस्क्यू करने वाली संस्था के सदस्यों के मुताबिक लसूड़िया मोरी क्षेत्र में रहने वाली वृद्धा के दो बेटे इलेक्ट्रीशियन हैं। पति वैवाहिक आयोजन में बैंड में वाद्ययंत्र बजाता है। इसके बाद भी वह अपने आठ साल के पोते व सात साल की पोती को लेकर मल्हारगंज स्थित शनि मंदिर में मंगलवार व शनिवार को आती थी। वृद्धा के मुताबिक सिटी बस में उसका मल्हारगंज आने-जाने का किराया 50 रुपये लगता था और वह तीन घंटे मंदिर के बाहर रुककर एक हजार रुपये एकत्र कर घर ले जाती थी।
संस्था के सदस्यों ने जब महिला के बेटे व परिवार के सदस्यों को बुलाया तो पता चला कि उन लोगों को वृद्धा द्वारा भीख मांगने की जानकारी नहीं थी। पोते-पोतियों को फिलहाल बाल आश्रम में भेजा गया है। बच्चों के मां-बाप द्वारा भविष्य में बच्चों से भिक्षावृत्ति न करवाने का शपथ पत्र दिए जाने पर ही उन्हें सौंपा जाएगा।
महिला बाल विकास विभाग द्वारा बनाई गई टीम ने पांच दिन में भीख मांगने वाले आठ बच्चों को रेस्क्यू कर बाल संरक्षण आश्रम में भेजा गया। इसके अलावा गोद में बच्चों को लेकर भीख मांगने वाली 22 महिलाओं को रेस्क्यू कर पुनर्वास केंद्र लाया गया। इनमें तीन महिलाएं कोटा राजस्थान व शेष इंदौर की हैं।