रायसेन में आदिवासी किसान सैनिकों की रैली, आजाद हिंद फौज की गणवेश पहनकर हुए शामिल

अनोखा तीर, रायसेन। समाज को उनका हक और अधिकार दिलाने के लिए आदिवासियों ने वर्दी पहनी है। आजाद हिंद फौज से प्रेरित होकर मांझी आदिवासी किसान सेना बनाई गई है। सेना का उद्देश्य समाज को संगठित और शिक्षित करना है। मांझी समाज अंतरराष्ट्रीय समाजवाद आदिवासी किसान सैनिक संगठन का तीन दिवसीय आवासीय शिविर शहर के दशहरा मैदान में चल रहा है।

इसमें मध्य प्रदेश सहित महाराष्ट्र से आदिवासी सैनिक शामिल हुए। कार्यक्रम के पहले दिन शहर में रैली निकाली गई, जिसमें वे आजाद हिंद फौज की तरह गणवेश पहनकर शामिल हुए। सोमवार को दूसरे दिन इन सैनिकों ने किले का भ्रमण किया।

संगठन के प्रांतीय संरक्षक आरएन ठाकुर ने बताया कि आदिवासी सैनिकों ने वर्दी किसी संघर्ष या विरोध के लिए नहीं पहनी है। ये सेना आदिवासी समाज के मार्गदर्शन के लिए तैयार की गई है, जो समाज के उत्थान और देश सेवा के लिए काम करेगी।

आदिवासी किसान सैनिक अपने-अपने क्षेत्र में समाज के लोगों को किसी भी प्रतिकूल परिस्थिति में मदद के लिए तत्पर रहते हैं। ये समाज को शिक्षित और संगठित होने के लिए प्रेरित करते हैं। इसके साथ ही अशिक्षा समाज के लिए बड़ा दंश है। इससे मुक्त होना ही संगठन का पहला उद्देश्य है।

बोस हैं सेना के प्रेरणास्रोत

इस आदिवासी किसान सेना का गठन आजाद हिंद फौज में रहे कांकेर छत्तीसगढ़ के कंगला माझी ने 1951 में किया था। वर्तमान में उनकी पत्नी फुलवा देवी संगठन को चला रही हैं। संगठन में उन्हें राजमाता कहा जाता है। सैनिक सुभाषचंद्र बोस और कंगला माझी को पूजते और आदर्श मानते हैं।

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