अनोखा तीर, भोपाल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पिछले वर्ष जुलाई में शहडोल से सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन की शुरुआत के बाद से अभी तक प्रदेश में 23 लाख लोगों की जांच इस बीमारी के लिए हो चुकी है। इसमें 10 हजार 800 यानी लगभग आधा प्रतिशत इससे प्रभावित पाए गए हैं। 52 हजार वाहक मिले हैं, जो प्रभावित तो नहीं हैं, पर उनसे पैदा होने वाली संतान को यह बीमारी हो सकती है। आमतौर पर माना जाता है कि जनजातियों में ही यह बीमारी पाई जाती है, पर जन मन योजना में शामिल जिलों के कुछ हिस्सों में ओबीसी या दूसरे वर्ग में भी इसके इक्का-दुक्का रोगी मिल रहे हैं।
एक करोड़ 11 लाख लोगों की जांच का लक्ष्य बढ़ा
बता दें कि प्रदेश में जनजाति बहुल 20 जिलों में कुल एक करोड़ 11 लाख लोगों की जांच का लक्ष्य था। अब जन मन योजना के बाद 13 जिले और शामिल होने से लक्ष्य बढ़ गया है। प्रधानमंत्री द्वारा उन्मूलन मिशन की शुरुआत के पहले राज्य सरकार ने झाबुआ और आलीराजपुर में प्रयोग के रूप में जांच प्रारंभ की थी, इसमें सामान्य जनजाति आबादी में लगभग तीन प्रतिशत लोग बीमारी से पीड़ित मिले थे।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अधिकारियों ने बताया कि पहले जांच की प्रक्रिया कठिन थी। नवंबर से किट के माध्यम से मौके पर ही जांच की जा रही है। इसमें लगभग 15 मिनट लगते हैं। इससे अब हर माह दो से तीन लाख लोगों की जांच हो पा रही है। अधिकारियों ने बताया के गैर जनजातीय लोगों में इस बीमारी के पीड़ित मिलने की वजह जनजातियों और गैर जनजातीय लोगों के बीच विवाह संबंध हैं।
क्या है सिकल सेल एनीमिया
बता दें कि सिकल सेल एनीमिया में लाल रक्त कोशिकाओं का आकार टेढ़ा (हंसिए की तरह) हो जाता है, जिससे पीड़ितों को खून की कमी, जोड़ों में दर्द सहित कई समस्याएं होने लगती हैं। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। वाहक महिला-पुरुष के बीच विवाह संबंध बचाकर इस बीमारी से पीड़ित संतान के जन्म को रोका जा सकता है।
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