अब मोहन बनाएंगे राम का मार्ग

20 साल, 4 मुख्यमंत्री फिर भी नहीं बना राम वन पथगमन

 

प्रहलाद शर्मा, हरदा। इन दिनों पूरा देश राममय हो रहा है। सैकड़ों साल के इंतजार पश्चात करोड़ों देशवासियों की आस्था के प्रतीक प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण का कार्य जोरशोर पर चल रहा है। तो वहीं आगामी २२ जनवरी को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा धूमधाम से होने जा रही है। ऐसे में भला मध्यप्रदेश के मुखिया डॉ.मोहन यादव कैसे पीछे रह सकते हैं। जहां देश अयोध्या में इतिहास रचने जा रहा है, तो वहीं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने भी अपने कार्यकाल को यादगार बनाने और इतिहास रचने की ओर कदम बढ़ा दिया है। बीते २० वर्षों में भाजपा और कांग्रेस के मिलाकर ४ मुख्यमंत्री जो कार्य नहीं कर पाए उसे डॉ.मोहन यादव अपने कार्यकाल में पूरा करने को आतुर दिखाई दे रहे हैं। उत्तरप्रदेश के आयोध्या में जहां भव्य राम मंदिर निर्माण के साथ ही प्रभु श्रीराम के १४ वर्ष के वनवासकाल के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम, माता सीता और भ्राता लक्ष्मण के साथ निकले थे, उस मार्ग को राम वनगमन पथ मार्ग के रूप में चिन्हित करते हुए उत्तरप्रदेश सरकार ने निर्माण का भी शुभारंभ कर दिया। अयोध्या से मध्यप्रदेश की सीमा चित्रकूट तक २१० कि.मी का यह निर्माण कार्य ४५५० करोड़ की लागत से युद्धस्तर पर चल रहा है। लेकिन चित्रकूट के बाद मध्यप्रदेश की सीमा में आने वाला वह क्षेत्र जहां से प्रभु श्रीराम वनवास के दौरान ११ साल ११ महीने और ११ दिन के समय दौरान गुजरे और ठहरे थे, उसे राम वन गमन पथ के रूप में चिन्हित तो कर लिया गया है, लेकिन उसके निर्माण की तमाम योजनाएं अभी तक केवल कागजों में ही बनती रही हैं। इस मार्ग के निर्माण कार्य की योजना २० वर्ष पहले तब बनी थी, जब १० वर्षों के दिग्विजय सिंह शासनकाल पश्चात भाजपा पूरे बहुमत के साथ साध्वी उमा भारती के नेतृत्व में सत्ता में आई थी। सुश्री उमा भारती ने इस मार्ग के निर्माण को लेकर एक वृहद कार्ययोजना बनाई जाने का कार्य अपने शासकीय अमले को सौंपा था। इसी दौरान इस संपूर्ण मार्ग में आने वाले जिले और स्थानों को चिन्हित किया गया था। जिसके तहत सतना, पन्ना, कटनी, जबलपुर, नर्मदापुरम, उमरिया, शहडोल और अनूपपुर जिले के स्थानों पर सूचीबद्ध किया गया। जिसमें स्फटिक शिला, गुप्त गोदावरी, अत्री आश्रम, शरभंग आश्रम, अश्वमुनि आश्रम, सुतिक्षण आश्रम, सिद्धा पहाड़, सीता रसोई, रामसेल, राम जानकी मंदिर, बृहस्पति कुंड, अग्रिजिह्वा आश्रम, अगस्त्य आश्रम, शिव मंदिर, रामघाट, श्रीराम मंदिर, मार्कण्डेय आश्रम, दशरथ घाट, सीतामढ़ी आदि शामिल हैं। इन मार्गों के चिन्हित करने और इन स्थानों को सड़क मार्ग से जोड़ते हुए इसे आवागमन की दृष्टि से सुगम बनाकर पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने की कार्ययोजना मुख्यमंत्री उमा भारती के कार्यकाल में बनाई जा चुकी थी। परंतु इस पर आगे कुछ कार्य होता इससे पहले ही वह पद से हट गई। तत्पश्चात तात्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने इस कार्य में कोई रुचि नहीं ली। परंतु जब एक वर्ष पश्चात शिवराजसिंह चौहान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने इस कार्ययोजना को आगे बढ़ाने का कार्य किया। लेकिन यह कार्ययोजना तब भी कागजो और फाईलों में ही बनती रही, धरातल पर नहीं उतारा जा सका। लगभग १३ वर्ष के मुख्यमंत्री कार्यकाल में शिवराजसिंह चौहान ने अनेक लोक लुभावनी योजनाएं प्रारंभ की, जो प्रदेश और देश में चर्चा का विषय रही। लेकिन उन्होंने अपने इन १३ वर्षों के कार्यकाल में राम वन गमन पथ को लेकर कोई ठोस कार्य तब भी नहीं किया। वर्ष २०१८ में जब अल्प समय के लिए कांग्रेस सत्ता में आई तो मुख्यमंत्री कमलनाथ ने वर्ष २०१९ में इस कार्ययोजना को लेकर २२०० करोड़ रुपए का बजट प्रावधान तो किया, लेकिन इस दिशा में कोई कार्य जमीनी स्तर पर नहीं हो पाया। कागजी घोड़े दौड़ते रहे और सरकार सत्ता से बाहर हो गई। जब चौथी बार शिवराजसिंह चौहान ने मुख्यमंत्री के रूप में मध्यप्रदेश की बागडौर थामी तो उन्होंने २०२२ में राम वन गमन पथ कारिडोर के प्रथम चरण को प्रारंभ करने के लिए ३०० करोड़ के प्रस्ताव को अनुमति दी। वहीं उन्होंने राम वन गमन पथ के लिए एक न्यास का गठन किया। इस न्यास के अध्यक्ष मुख्यमंत्री बने और इसमें ३३ सदस्यों को न्यासी बनाया गया। शिवराजसिंह चौहान की इस पहल ने मीडिया में भरपूर सुर्खियां बटौरी। इस दौरान मध्यप्रदेश में महाकाल कारिडोर, ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, जैन तीर्थ, सिद्धवर कूट, सलकनपुर देवीधाम जीर्णोद्धार जैसे धार्मिक दृष्टि से अनेक बड़े कार्य हुए। लेकिन राम वन गमन पथ न्यास की पहली बैठक तक नहीं हो पाई। पिछले ३ मुख्यमंत्रियों की तरह ही शिवराज सरकार भी इस वृहद कार्ययोजना को धरातल पर उतारने में नाकाम रही। लेकिन अब प्रदेश के नए मुखिया डॉ.मोहन यादव ने अपने मुख्यमंत्री काल के शुरुआती दिनों में ही इस वृहद कार्ययोजना को अपनी प्राथमिकता में शामिल किया है। गत १६ जनवरी को उन्होंने चित्रकूट में राम वन पथ गमन न्यास की पहली बैठक आयोजित करते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि यह कार्य उनकी सर्वाधिक प्राथमिकता में शामिल है। उन्होंने वहां मौजूद धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री राजेंद्र सिंह लोधी, विभाग के प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला को स्पष्ट निर्देशित किया है कि इस कार्य को प्रमुखता से अपनी कार्ययोजना में लिया जाए। राम वन पथ गमन से जुड़े निर्माण कार्यों में लोक चेतना को शामिल करें। यहां सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजन प्रारंभ किए जाएं। इस मार्ग पर मोटर सायकल रैली जैसे आयोजन करके लोगों को जोड़ा जाए। यह कार्ययोजना तीव्रता से धरातल पर साकार हो, जिससे श्रद्धालुओं को प्रभु श्रीराम के पद चिन्हों के दर्शन और उन विश्राम स्थलों पर धार्मिक गतिविधियों का संचालन करते हुए जनभावना अनुकूल कार्य किए जाएं। यह क्षेत्र धार्मिक पर्यटन के रूप में भी मध्यप्रदेश का एक बड़ा केंद्र बनकर उभरे, इस दिशा में सरकार पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य करे। ऐसी मंशा मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जाहिर की है। मुख्यमंत्री की इस पहल से फिलहाल तो यही लगता है कि जो कार्य बीते २० वर्षों में प्रदेश के ४ मुख्यमंत्री नहीं कर पाए, उस राम मार्ग का निर्माण अब मोहन करेंगे।

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