आप जो यह तस्वीर देख रहे हैं, वह शहर शासकीय जिला अस्पताल का हाल है। जहां लोग मनचाहे स्थान को पिकदान में तब्दील कर देते हैं। जिस वजह से यहां गंदगी का वातावरण निर्मित होना लाजमी है। वहीं दूसरी ओर इस तरह की लापरवाही पर अंकुश लगाने के लिये प्रबंधन की कार्यप्रणाली सुस्त प्रतीत हो रही है। जबकि, यही तस्वीर कायाकल्प टीम समेत अन्य बड़े अफसर के औचक निरीक्षण से पहले बदल जाती है। किंतु उनके जाते ही फिर अव्यवस्थाओं का बोलबाला रहता है। जिस पर प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है, तब कहीं सार्थक परिणाम की उम्मीद की जा सकती है। बता दें कि शासकीय अस्पताल में दीवारों पर थूकना तथा पेयजल स्थल पर बर्तन धोने का सिलसिला थम नही रहा है। जिसके चलते दीवारें लाल सुर्क दिखाई देती है, वहीं प्याऊ के आसपास खाद्य सामग्री के टुकड़े बिखरे दिखेंगे। जिसके चलते यहां पहुंचने वाले अन्य लोगों को दिक्कतें होती हैं, जो अंत में बोल ही पड़ते हैं, कि यह बात गलत है।
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