इंदौर। यूं तो इंदौर में संसदीय लोकतंत्र का इतिहास 71 वर्ष पुराना है क्योंकि यहां पहला लोकसभा चुनाव 1952 में हुआ था, किंतु देश के सबसे बड़े दल भाजपा को यहां जड़ें जमाने के लिए ‘भगवान राम’ का आशीष ही फला था। वह 1989 का दौर था, जब देश में रामजन्म भूमि आंदोलन गति पकड़ चुका था। कांग्रेस ने इंदौर से प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कद्दावर नेता प्रकाशचंद सेठी को प्रत्याशी बनाया, तो भाजपा ने एकदम नए चेहरे सुमित्रा महाजन को मैदान में उतारा। उस वर्ष राजवाड़ा चौक पर एक राम के नाम नामक विराट कवि सम्मेलन हुआ था।
इंदौर के कवि और वरिष्ठ भाजपा नेता सत्यनारायण सत्तन के नेतृत्व में कवियों ने राम जन्मभूमि आंदोलन और अयोध्या पर जोश भर देने वाली कविताएं सुनाईं। इससे माहौल बना और राम लहर ने कांग्रेस के मजबूत गढ़ को छीनकर भाजपा की झोली में डाल दिया। महाजन ने इंदौर से चुनाव जीतकर यहां भाजपा की नींव मजबूत कर दी। 1998 में भी जब महाजन के सामने कांग्रेस ने पंकज संघवी को उतारा, तो भाजपा ने अटलजी की सभा रखी। सभा बेहद सफल रही और अटल की वाणी के जादू से सम्मोहित इंदौर नेलोकसभा सीट फिर भाजपा के खाते में डाल दी। इसके बाद तो यहां भाजपा की जड़ें इतनी गहरी जम गईं कि इसे भाजपा का गढ़ कहा जाने लगा।
इंदौर ने सुमित्रा महाजन को अपनी ताई मानकर लगातार आठ बार लोकसभा में भेजा। बीते लोकसभा चुनाव (2019) में भले ताई मैदान में न थीं, किंतु इंदौर ने फिर भाजपा को आशीर्वाद दिया और शंकर लालवानी को रिकार्ड मतों से जिताकर नया इतिहास रचा। अब तो भाजपा मानो इंदौर की रगाें में लहू बनकर दौड़ती है। हाल ही में विधानसभा चुनाव में इंदौर ने नौ की नौ सीटें भाजपा को दीं। भाजपा ने भी बीते तीन दशक में इंदौर की तस्वीर ही पलटकर रख दी है।
जब जनता चौक पर सो गए अटल जी
राजनीति भले सुविधा संपन्न है, किंतु गुजरे जमाने में बड़े नेता भी किस सादगी से कर्तव्य को महत्व देते थे, यह अटलबिहारी वाजपेयी ने इंदौर में बताया था। हुआ यूं था कि 1984 के चुनाव में अटल जी इंदौर आए थे। ट्रेन तय समय से काफी देरी से पहुंची। इतनी रात को किसी कार्यकर्ता के घर न जाते हुए, वे खजूरी बाजार के पास बने जनता चौक पहुंच गए। उन्हें वहीं पर सभा को संबोधित करना था। वे वहीं एक चबूतरे पर सो गए। यह जानकारी जब भाजपा के वरिष्ठ नेता नारायण राव धर्म और राजेंद्र धारकर तक पहुचीं, तो वे पहुंचे और अटल जी से घर चलने का आग्रह किया। अटलजी ने रात अधिक होने का हवाला दिया, तब उन्हें तत्कालीन भाजपा कार्यालय ले जााय गए और वहां ठहरने की व्यवस्था की।
टिकट कटा भी तो संगठन के लिए जुटे रहे
वर्तमान दौर में संगठन, साधन और कार्यकर्ताओं की लंबी फौज वाली भाजपा के लिए एक दौर ऐसा भी था जब पार्टी के पास केवल एक मोटरसाइकिल थी। वह भी वरिष्ठ नेता राजेंद्र धारकर की। बाद में नारायण राव धर्म और शिव वल्लभ शर्मा ने एक पुरानी जीप का इंतजाम किया और उससे 84 व 89 के चुनाव में प्रचार किया। 1989 के चुनाव में जब वरिष्ठ भाजपा नेता धारकर का टिकट काटकर सुमित्रा महाजन का नाम तय किया, तब धारकर एक अखबार के कार्यालय में बैठे थे। वहीं पर फैक्स से सूचना मिली कि उनका टिकट बदल दिया गया है। इस पर धारकर ने वहां मौजूद कार्यकर्ताओं से मुस्कुराकर कहा- चलो, अब सुमित्रा का चुनाव प्रचार करना है। खूब मेहनत करनी है, सब लोग जुट जाओ।