नाविक का बेटा बना डीएसपी, गांव में जश्न का माहौल

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अनोखा तीर, हरदा। गत दिवस आए एमपी पीएससी के रिजल्ट के बाद हंडिया तहसील के ग्राम खरदना में जश्न का माहौल है। छोटे से इस गांव का बेटा लोकेश डीएसपी बन गया है। लोकेश के पिता जो नाव चलाते हैं, वह भी अपने बेटे की इस सफलता पर फूले नहीं समा रहे हैं। अजनाल नदी में नाव चलाकर लोकेश के पिता रामसिंह ने अपने बेटे को पढ़ाया है। लोकेश ने बताया कि वैसे तो वे मूल रूप से कोरकू आदिवासी हैं। गांव नदी किनारे है तो मेरे पिता और चाचा ने नाविक का काम अपनाया। उसी से हमारा घर चलता है। जब अजनाल नदी में बाढ़ आती है, तो आज भी मेरे पिता और चाचा ही आपदा प्रबंधन के काम में सबसे आगे होते हैं। स्कूल की पढ़ाई के बारे में लोकेश ने बताया कि प्राथमिक शिक्षा गांव के ही स्कूल में हुई। इसके बाद की पढ़ाई के लिए 5 किमी दूर बिछोला गांव से की। यहीं से लोकेश का संघर्ष शुरू हुआ। स्कूल अजनाल नदी के उस पार था। लोकेश कहते हैं कि रोज नदी पार करना स्कूल जाने के लिए सबसे जरूरी शर्त थी मैं नाविक परिवार से था, तो कभी नाव के लिए पैसे नहीं लगते थे। रोजाना नदी पार कर स्कूल जाना खतरे से खाली नहीं था, लेकिन लोकेश ने हार नहीं मानी और साइंस सब्जेक्ट के साथ 12वीं पास की। लोकेश बताते हैं- सिविल सर्विस का सपना पूरा करने के लिए आर्ट्स में ग्रेजुएशन करने इंदौर गया था। जिस साल इंदौर पहुंचा उसी साल बहन की शादी थी। घर में थोड़े बहुत पैसे थे, वो भी शादी में खर्च हो गए। इंदौर में रहने-खाने का खर्च चलाने के लिए मां और पिता ने साल भर खाने के लिए रखे गेहूं भी बेच दिए, लेकिन ये भी पर्याप्त नहीं था। मां अपने घर के पास सब्जी उगाती, उन्हें बेचकर मेरी पढ़ाई के लिए पाई-पाई जुटाती। इसके बाद भी पैसे कम पड़ जाते थे। इस दौरान पैसों की बहुत ज्यादा तंगी थी। पैसे हासिल करने के लिए कुछ ऐसे काम भी किए। जिनके बारे में अब सोचता हूं तो थोड़ा अजीब लगता है।

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