प्रशांत शर्मा, हरदा। रेवापुर में 20 दिसंबर से आयोजित श्रीमद्भागवत कथा का मंगलवार को पूर्णाहुति व प्रसादी वितरण के साथ समापन किया गया। इस दौरान सुबह से हवन यज्ञ किया गया। इसके बाद हरिद्वार निवासी प्रसिद्ध कथावाचक स्वामी राजेंद्रानंद महाराज ने कथा के दौरान कहा कि नशा नहीं करना चाहिए। नशा हमें पतन की ओर ले जाता है। नशा न केवल शरीर खोखला करता है बल्कि यह समाज और देश भी खोखला करता है। मैं आज यहां कथा के दौरान सभी से दक्षिणा के रूप में कुछ मांगना चाहता हूं। स्वामी राजेंद्रानंद ने व्यासपीठ से अपनी झोली खोलकर कहा कि उन्हें उपस्थित लोगों से कोई धन, दौलत नहीं चाहिए, बल्कि अगर कोई किसी भी प्रकार का नशा करता हो तो वह मेरी झोली में डाल दे। उपस्थित लोगों ने नशा से दूर रहने का कथावाचक को दोनों हाथ उठाकर आश्वासन दिया। कथा के दौरान श्रीकृष्ण व सुदामा की मित्रता की कथा भी सुनाई गई। सुदामा अत्यंत गरीब जीवन जी रहा था। उसके बच्चे कई दिनों से भूखे थे। सुदामा की पत्नी को जब पता चला कि श्रीकृष्ण उसके पति के बाल अवस्था के मित्र थे, तो उसने अपने पति को उनके पास जाने की जिद की। इसके बाद सुदामा श्रीकृष्ण से मिलने गए। द्वारपाल को सुदामा ने कहा कन्हैया को कहो कि उनका मित्र आया है। जब यह सूचना श्रीकृष्ण को मिली तो वह दौड़ पड़े और द्वार पर जाकर सुदामा को गले लगा लिया। अपने आंसओं से सुदामा के पैर धोऐ और उसके जीवने के सभी कष्ट दूर कर दिए। कथा आयोजक हरिशंकर बेनीवाल ने बताया कि मंच पर सभी प्रतिभाओं का सम्मान किया गया। इसके अलावा पूर्णाहुति और प्रसादी वितरण के बाद कथा का समापन किया गया। कथा के अंतिम दिन सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण शामिल हुए। सभी ने प्रसादी ग्रहण की। इसके बाद कथा का समापन किया गया।
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