यह बात गलत है….

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आप जो यह तस्वीर देख रहे हैं, वह शहर के नेहरू पाक के मुख्यद्वार से सटा दृश्य है, जो लोगों की बेलगाम मनमानी को दर्शाता है। कुछ यही हाल शहर के अन्य इलाकों में भी देखने को मिलेगा। जहां दीवारों के अलावा विद्युत पोल, हरे-भरे वृक्ष समेत अन्य शासकीय संपत्तियों पर निशाना रहता है, ताकि प्रचार व्यय सहित किन्हीं आपत्तियों से जूझना ना पड़े। यही कारण है कि स्कूल-कॉलेज तथा विभिन्न संस्थाओं द्वारा ये तरीका लंबे समय से अपनाया जा रहा है। जिस पर केवल चुनावी समय में कार्रवाई होती है। इनमें कई प्रचार सामग्री नजर से ओझल रहीं, परिणामस्वरूप वे जस की तस है। परंतु इन सबके बीच सवाल यह उठता है कि इस तरह की मनमानी पर स्थायी अंकुश क्यों नही ? संभवत इसी के चलते लोगों के हौंसले बुलंद होना लाजमी है। इस बारे में जागरूक नागरिकों का कहना है कि सर्वप्रथम हरे-भरे वृक्ष उसके बाद महत्वपूर्ण स्थान जैसे शासकीय स्कूल – कॉलेज, गार्डन, विधुत पोल एवं ट्रांसफार्मर के आसपास इस तरह के प्रचार कार्य पर रोक लगना चाहिए। ऐसा इसलिये क्योंकि सख्ती के अभाव में यह सिलसिला दिनों दिन बढ़ रहा है। फलस्वरूप लोगों का कहना, कि यह बात गलत है।

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