बेपटरी हुई उम्मीदें, वेंटिलेटर पर सुविधा ! मनमानी को फिर मिली हवा

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पहले 20 अब 2 टाईम पर सिमटी व्यवस्था

प्रायवेट बस ऑपरेटरों की मनमानी पर लगाम कसने तथा जनता को रियायती दर पर सुलभ यात्रा मुहैया कराने की दृष्टि से चार्टर्ड बसों का संचालन प्रारंभ किया था, जो कि प्रमुख रूटों पर यात्रा के लिहाज से एक पुख्ता विकल्प बन गया था। जिससे गरीब एवं मध्यमवर्गीय लोगों को खासी राहत मिली। किंतु, कुछ समय बाद ये व्यवस्था धीरे-धीरे बेपटरी होती चली गई। उधर प्रायवेट बसों की मनमानी को एक बार फिर हवा मिली है। खासकर, इन्दौर-हरदा रूट पर इसका खासा असर हुआ है। क्योंकि, पहले इन्दौर-हरदा रूट पर जहां चार्टर्ड बसें कुल 20 टाइम आना-जाना करती थीं, जो अब 2 से 4 टाइम तक सिमटकर रह गई है।

अनोखा तीर, हरदा। इन्दौर-हरदा रूट पर यात्रियों का ट्राफिक शुरू से उम्मीदों के अनुरूप साबित हुआ है। जिसका मुख्य कारण उच्च शिक्षा, व्यापार तथा चिकित्सीय सुविधा की दृष्टि से हरदा समेत आसपास के क्षेत्रवासी इन्दौर से सीधे कनेक्ट है। यही कारण है कि यहां रेल सेवा के अभाव में बसों का परिचालन मुख्य रहा है। इन सबके बीच प्रायवेट बसों की मनमानी खासकर त्यौहार एवं लग्न-सराय के वक्त यात्रियों की जेब ढ़ीली करने के बराबर रहती है। जिससे जनता को निजात दिलाने के लिए प्रदेश सरकार के सहयोग से वर्ष २०१९ में अंर्तराज्यीय बसों का संचालन प्रारंभ हुआ। इसी क्रम में प्रमुख रूटों में शुमार हरदा-इन्दौर के बीच चार्टर्ड बसें दौड़ना शुरू हुई थीं। इसके शुरूआती दौर में दोनों तरफ यानि इन्दौर और हरदा से करीब 20 टाइम बस का परिचालन यात्रियों के लिए राहत भरा साबित हुआ। क्योंकि, एसी व नॉन एसी के चक्कर से दूर कई ऐसे यात्री हैं, जो साधारण यात्रा पर भरोसा करते हैं। साथ ही चार पैसे बचत अलग होती है। इसीलिए गरीब एवं जरूरतमंद लोगों के लिए चार्टर्ड बस सेवा सुगम यात्रा की परिचायक बनने लगी थीं। परंतु , ठीक उसी समय कोरोना काल जैसी प्राकृतिक आपदा ने बस संचालन समेत तमाम कामकाजों पर भारी खलल डाल दिया। परिणामस्वरूप प्रबंधन की उम्मीदों पर जहां पानी-पानी हो गया, वहीं व्यवस्था को पटरी से उतरने में देर नही लगी।

पहले 20 टाइम अब केवल 2

प्राप्त जानकारी के अनुसार पहले जहां हरदा से इन्दौर और इन्दौर से हरदा के बीच कुल 20 टाइमों पर बसों का परिचालन होता था, जो बस सेवा प्रारंभ होने के करीब 4 साल बाद अब 2 बसों के परिचालन पर सिमट गया है। जिसके चलते रूट पर नियमित तथा रियायत दर पर यात्रा करने वाले लोगों में निराशा की झलक देखने को मिल जाएगी।

दोनों के बीच किराये का अंतर

बता दें कि प्रायवेट बस तथा चार्टर्ड बसों के किराये में काफी अंतर है। हालांकि, प्रायवेट बस ऑपरेटर किराये की खाई को पाटने के लिये सुविधाओं का हवाला देना नही चूकते हैं। लेकिन प्राय हर जगह ऐसे यात्री भी हैं, जो सुविधा को छोड़ केवल सस्ती यात्रा को तवज्जों देते हैं। इसी से चार्टर्ड बस का नेटवर्क मजबूत हुआ था। खासकर तीज-त्यौहारों पर चार्टर्ड उपयोगी रही।

इनका कहना….

एक बार फिर प्रयास जरूरी

कोरोना काल के चलते प्राय हर एक काम पर बुरा असर हुआ था। जिससे बस संचालन भी अछूता नही रहा। क्योंकि, बसें तो शुरू होने को तैयार थीं। परंतु , यात्रियों का खासा अभाव था। लेकिन अब व्यवस्था पटरी पर आ चुकी है। ऐसे में संबंधित ट्रेवल्स एजेंसी को एक बार फिर प्रयास करना चाहिए।

शैलेन्द्र कुमार, व्यापारी

चार सवारी पर 200 का अंतर

प्रायवेट बस और चार्टर्ड बस के किराये में इतना अंतर है कि 4 सवारियों पर कुल डेढ़ से दो सौ रूपए बचाए जा सकते हैं। यात्रियों ने बचत भी की। लेकिन यह सुविधा ज्यादा दिनों तक नही चल पाई। जबकि पहले हर घंटे दो घंटे में चार्टर्ड उपलब्ध रहती थी। अन्य प्रायवेट बसों की मनमानी का मजबूत विकल्प था।

संतोष यादव, किसान

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