बुरहानपुर। जिले के सरकारी स्कूलों की बदहाल व्यवस्थाओं को ठीक करने में अफसरों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक की रूचि नहीं है। इनमें पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए परेशानी का कारण बनी हुई है। टीम ने जिला मुख्यालय से बमुश्किल 12 किमी दूर स्थित खड़कोद के मिडिल स्कूल का जायजा लिया तो पता चला यहां के विद्यार्थियों को बैठने के लिए टाट पट्टी तो दूर ढंग का फर्श तक नसीब नहीं है।
स्कूल के चार कक्षों में से एक में मध्याह्न भोजन बनता है। शेष तीन में से एक कक्ष का फर्श खुदा हुआ है। इसी पर छात्राएं बैठ कर अध्यापन कर रही हैं। दूसरे कक्ष में खिड़की दरवाजे नहीं हैं और सभी कमरों में बारिश के दौरान छत टपकती है। छठवीं से आठवीं कक्षा वाले इस स्कूल में 83 विद्यार्थी दर्ज हैं, जिन्हें पढ़ाने के लिए तीन शिक्षक पदस्थ हैं।
प्रधान पाठक संजय रोड़ेकर का कहना है कि शाला विकास योजना के तहत स्कूल का नया भवन बनाने के लिए जानकारी भेजी जा रही है, लेकिन अब तक नया भवन नहीं मिला है। सरकार से रखरखाव के लिए मिलने वाली राशि इतनी नहीं होती कि उससे भवन की मरम्मत कराई जा सके।
कई जगह गायब मिले थे शिक्षक
सरकारी स्कूलों की खराब स्थिति को लेकर बीते कई दिन से लगातार खबरें प्रकाशित कर रहा है। कई स्कूलों में शिक्षक लंबे समय से गायब मिले थे तो कई जगह विद्यार्थियों की उपस्थिति नाममात्र की मिली थी। स्कूलों में बनाए गए शौचालयों में गंदगी और तालाबंदी की तस्वीरें भी सामने आ चुकी हैं। बावजूद इसके अब तक शिक्षा विभाग अथवा जिला प्रशासन ने निगरानी और व्यवस्था में सुधार की ठोस व्यवस्था नहीं बनाई है।
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