मध्य प्रदेश

राऊ पंचायत में पहली बार हारी कांग्रेस

इंदौर। विधानसभा चुनाव के नतीजों ने यूं तो पूरे प्रदेश में कांग्रेस को चौंका रहे हैं, लेकिन इंदौर जिले की ग्रामीण सीट राऊ पर भी कांग्रेस को गहरा जख्म मिला है। इस सीट पर कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी विधायक रहते हार गए हैं। इस सीट पर कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जहां के बारे में दावा है कि आजादी के बाद पहली बार कांग्रेस विधानसभा चुनाव में हारी है। कांग्रेस को परिणाम पर भरोसा करने का कारण नहीं मिल रहा। दूसरी ओर, भाजपा इस सीट पर सबसे बड़ी जीत की कालर में जड़े सितारों की तरह नुमाइश के लिए इस्तेमाल करने में जुट गई है।

राऊ में भाजपा की जीत और कांग्रेस की हार 35 हजार 522 वोटों से हुई। 2018 में इस सीट पर हार-जीत का अंतर छह हजार वोटों से भी कम का रहा था। बीते चुनाव में भी जीतू पटवारी के प्रतिद्वंद्वी के रूप में भाजपा के मधु वर्मा ही मैदान में थे। परिणाम आने से पहले ज्यादातर लोग मान रहे थे कि इस सीट पर हार-जीत का अंतर 10 हजार वोटों के भीतर ही रहेगा।

हालांकि जब परिणाम आए तो उसने सबको चौंका दिया। कुछ अनोखी बातें कांग्रेस को भी हैरान और परेशान कर रही हैं। विधानसभा सीट के माचला ग्राम पंचायत क्षेत्र में कांग्रेस 196 वोटों से हार गई। कांग्रेस के कार्यकर्ता और पटवारी के लिए काम में जुटे लोग बता रहे हैं कि आजादी के बाद पहली बार ऐसा हुआ है, जब इस पंचायत क्षेत्र से कांग्रेस को हार मिली है। करीब 1200 वोटों वाले क्षेत्र में वोटों की यह कमी कांग्रेस को विश्लेषण के लिए मजबूर कर रही है।
प्रतिद्वंद्वी का दावा एक से ज्यादा क्षेत्र
हालांकि भाजपा के विजयी प्रत्याशी मधु वर्मा की टीम दावा कर रही है कि इस क्षेत्र के साथ दो और कलारिया और राद्रा भी ऐसे क्षेत्र हैं, जहां कांग्रेस पहली बार हारी है। वर्मा के चुनाव संचालन की टीम में शामिल आशीष हार्डिया के अनुसार कलारिया और राद्रा नामक ग्रामीण पंचायतों में भी कांग्रेस 275 और 225 वोटों से हारी है।
दो-दो बूथों वाले इन गांवों में भी पहले कभी कांग्रेस नहीं हारी है। हालांकि पटवारी की टीम के अमित शर्मा भाजपा के दावे को खारिज करते हुए कह रहे हैं कि सिर्फ माचला ऐसा क्षेत्र है जहां पहले कभी भी कांग्रेस नहीं हारी थी। शर्मा के अनुसार क्षेत्र के लोग अब भी कांग्रेस के साथ हैं।
माचला क्षेत्र के मतदाताओं को भी इस परिणाम पर भरोसा नहीं है। मतदाताओं की बात को नजरअंदाज करने की वजह भी नहीं दिखती। क्यों और क्या हुआ, इस बार आगे सब साफ हो जाएगा।
पालदा-बांक में उम्मीद टूटी
राऊ विधानसभा क्षेत्र में बांक क्षेत्र अल्पसंख्यक बहुल है और कांग्रेस को बड़ी बढ़त दिलाने वाला माना जाता है। हालांकि भाजपा इस बार यहां लीड कम करने में कामयाब रही। बीते चुनाव के मुकाबले करीब तीन हजार की लीड भाजपा ने यहां कम कर दी। ऐसे में भाजपा के लिए यह बड़ी जीत का आधार बनी। दूसरी ओर इन चुनाव से ठीक पहले पालदा में भाजपा से दलबदल हुआ था।
क्षेत्र में प्रभाव रखने वाले नेता दिनेश मल्हार ने भाजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया था। हालांकि मल्हार के बूथ से भी भाजपा जीत गई। इसी तरह जीतू पटवारी के गृह वार्ड जो बिजलपुर के हिस्से और सामने शहरी हिस्से की कालोनियों से मिलकर बना है, उसमें भी कांग्रेस की हार हुई है।

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