अंजली राय, भोपाल। इन विधानसभा चुनावों में भोपाल और आसपास के जिलों में दोनों प्रमुख दलों ने कुछ सीटों पर महिला प्रत्याशियों को भी मौका दिया। महिलाओं को मौका देने में कांग्रेस आगे रही। कांग्रेस ने सात विधानसभा क्षेत्रों तो भाजपा ने केवल तीन क्षेत्रों में महिला प्रत्याशियों को मौका दिया, लेकिन कांग्रेस की सात प्रत्याशियों में से सिर्फ एक को जीत हासिल हो सकी। वहीं भाजपा की तीनों महिला प्रत्याशियों को विजय मिली, जबकि भोपाल के गोविंदपुरा से कृष्णा गौर तो एक लाख से अधिक मतों से जीतीं। भाजपा की महिला प्रत्याशियों की 100 प्रतिशत सफलता दर ने राजनीति में इनके मौके बढ़ाने की संभावनाएं बढ़ा दी हैं।
लहर ने किया कमाल
गुना के चांचौड़ा से भाजपा की प्रियंका मीना ने कांग्रेस के कद्दावर नेता लक्ष्मण सिंह को 25 हजार मतों से हराया। बैतूल जिला की आदिवासी सीट घोड़ाडोंगरी से भाजपा प्रत्याशी गंगा उइके ने जीत दर्ज की। बैरसिया से कांग्रेस ने जयश्री हरिकरण को उतारा, लेकिन वे भाजपा के विष्णु खत्री से हार गईं। विदिशा के कुरवाई विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने रानी अहिरवार को मौका दिया, लेकिन वे भाजपा के हरिसिंह सप्रे से पराजित हुईं। हरिसिंह 26 हजार मतों से जीत कर लगातार दूसरी बार विधायक बने। सारंगपुर से कांग्रेस ने कला महेश मालवीय को उतारा, लेकिन वे भी भाजपा के गौतम टेटवाल के मुकाबले पराजित हुईं। राजनीतिक विश्लेषक इन हार के पीछे महिला प्रत्याशियों के राजनीतिक अनुभव की कमी और मैदानी कार्यकर्ताओं की कमी के साथ भाजपा की लहर को कारण बता रहे हैं।
सागर में कांग्रेस ने चार महिलाओं को दिया मौका, एक विजयी
सागर में कांग्रेस ने चार महिला प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था। इसमें से एक निर्मला सप्रे बीना से जीतने में कामयाब रहीं। उनकी जीत इसलिए भी खास रही कि वे जिले में कांग्रेस की एकमात्र विधायक रहीं, जिसे जीत हासिल हुई। उन्होंने दो बार विधायक और नगर पालिका अध्यक्ष रह चुके महेश राय को छह हजार 155 मतों से शिकस्त दी है। यहां सागर सीट से भाजपा प्रत्याशी शैलेंद्र जैन ने अपने ही छोटे भाई की पत्नी कांग्रेस की निधि जैन को हरा दिया। वहीं, रहली से भाजपा के गोपाल भार्गव ने कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति पटेल को 72 हजार मतों से शिकस्त दी। इसके अलावा खुरई से भूपेंद्र सिंह के मुकाबले में कांग्रेस से रक्षा राजपूत थीं।
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