जबलपुर। सीधी और सिंगरौली जिले ने राजनीति के इतिहास को दोहराया है। सीधी जिले के चार विधानसभा सीट में से तीन पर भाजपा और एक पर कांग्रेस और सिंगरौली के तीनों विधानसभा में भाजपा को जीत मिली है।
इस बार यह सीट हाथ से फिसल गई
फर्क यह है कि वर्ष 2018 के चुनाव में सिहावल विधानसभा से कांग्रेस को जीत मिली थी इस बार यह सीट हाथ से फिसल गई। तो वही हाथ से गई कांग्रेस की चुरहट सीट हाथ को अबकी बार मजबूत किया है।a
सीधी विधानसभा सीट पर भाजपा सांसद रीती पाठक
सीधी जिले की सीधी विधानसभा सीट पर भाजपा सांसद रीती पाठक, धौहनी से कुंवर सिंह टेकाम भाजपा, सिहावल से विश्वामित्र पाठक भाजपा को जीत मिली है। तो चुरहट विधानसभा से कांग्रेस के पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल ने भाजपा के शरदेंदु तिवारी को मात दिया है।
चितरंगी विधानसभा से राधा सिंह भाजपा विजयी
सिंगरौली जिले की भाजपा परंपरागत सीट चितरंगी विधानसभा से राधा सिंह भाजपा, सिंगरौली से रामनिवास शाह और देवसर से राजेंद्र मेश्राम भाजपा ने इतिहास को दोहराया है।
कारगर साबित हुई लाड़ली बहना योजना
चुनाव के ठीक पहले लाडली बहन योजना भाजपा के लिए सीधी सिंगरौली जिले में जिले में भी कारगर साबित हुई है। सीधी विधानसभा से रीति पाठक और चितरंगी विधानसभा से राधा सिंह को महिला प्रत्याशी होने के साथ लाडली बहन योजना का भारी समर्थन मिला है। जिसका नतीजा रहा की राधा सिंह 59 हजार से अधिक मत मिले तो वही सीधी की रीति पाठक को 27000 से अधिक मत मिले हैं। इसके अलावा धौहनी,सिहावल में देखने को मिला। सीधी जिले की केवल चुनाव विधानसभा सीट में यह योजना कारगर साबित नहीं हो पाई। जबकि महिलाओं का वोट प्रतिशत पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा रहा है।
रीती पाठक सांसद भाजपा सीधी विधानसभा
पेशाब करने के बाद चर्चा में आईं विधानसभा सीट सीढ़ी पर सांसद रीती पाठक चुनाव मैदान में थीं। जहां उन्हें घेरने के लिए कांग्रेस जी जान से जुटी थी तो वही भाजपा के विधायक केदारनाथ शुक्ला निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में डटे रहे। कुछ भाजपा नेताओं ने अपने भविष्य की चिंता को लेकर भीतर घात कर घेरने का प्रयास किया था। लेकिन वह चुनौती देकर मैदान में रही। सीधी की परंपरागत सीट भाजपा को जीत लिया। रीति पाठक वर्ष 2014 से सीधी लोकसभा सीट से लगातार दो बार से सांसद हैं। इससे पहले जिला पंचायत अध्यक्ष रही है।
विश्वामित्र पाठक भाजपा सिहावल विधानसभा
विश्वामित्र पाठक परिसीमन के बाद पहला चुनाव सिहावल विधानसभा सीट से वर्ष 2008 में लड़ा और जीत हासिल किया था। उसके बाद उन्हें 2013 में हर का सामना करना पड़ा। 2018 में उनकी जगह शिव बहादुर सिंह को भाजपा ने टिकट दिया और भाजपा हार गई। टिकट नहीं मिलने से नाराज विश्वामित्र बगावत पर उतर गए और उन्हें करीब 27121 वोट मिले थे। अबकी बार उन्हें भाजपा ने टिकट देकर मैदान में उतारा वह 16478 वोट से जीत हासिल किया। विश्वामित्र पाठक दूसरी बार विधायक बने हैं।
कुंवर सिंह टेकाम भाजपा धौहनी विधानसभा
कुंवर सिंह टेकाम चौथी बार विधायक बने हैं। कांग्रेसियों ने इन्हें पूरी तरह से गिरने की कोशिश की। भाजपा के ही कुछ नेताओं ने चुनाव के दौरान इस्तीफा दिया। इन्हें हराने के लिए लाख साजिश की गई। कुंवर सिंह टेकाम अपनी विनम्रता और प्रदेश सरकार की योजनाओं की क्रियान्वयन आगे रहे हैं। जिसका नतीजा रहा की उन्हें जीत मिली। इस सीट पर कमलेश सिंह कांग्रेस कुंवर सिंह टेकाम भतीजी हैं। वर्ष 2018 में कुंवर सिंह को 3793 वोट से जीत मिली थी।
अजय सिंह राहुल पूर्व नेता प्रतिपक्ष चुरहट विधानसभा
चुरहट विधानसभा सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है। वर्ष 2018 में पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल को भाजपा के शरदेंदु तिवारी ने 6402 वोट से हराया था। हारने के बाद अजय सिंह राहुल कुछ दिनों तक क्षेत्र से दूरी बनाए रखें लेकिन एक टीम गठित कर लगातार मैदान में रहे। भाजपा कार्यकर्ताओं में आपसी सहमति नहीं बनी और धीरे-धीरे संगठन कमजोर होता गया। इसका फायदा कांग्रेस को मिला। अजय सिंह राहुल ने शरदेंदु तिवारी को 27831 वोट से पराजित किया है।
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