भोपाल। दशकों से भाजपा को सत्ता में पहुंचने की ताकत दे रहे प्रदेश के मध्य अंचल ने इस बार न केवल बूस्टर डोज दिया है, बल्कि रिकार्ड बढ़त की आंधी ला दी है। प्रदेश में करीब 20 सालों से सत्ता में बनी भाजपा को इस बार सत्ता विरोधी लहर का खतरा नजर आ रहा था, वहीं बढ़े हुए मतदान प्रतिशत ने भाजपा नेताओं की धड़कनें भी बढ़ा दी थी। विपक्ष में बैठी कांग्रेस बदलाव की हवा का दावा करते हुए जीत के प्रति आश्वस्त लग रही थी, लेकिन रविवार सुबह जब चुनाव नतीजे आने शुरू तो तमाम राजनीतिक पंडित भी भौंचक रह गए। भाजपा की विजयश्री की ऐसी सुनामी आई कि मध्य अंचल की 51 में 42 सीटें उसकी झोली में आ गिरी, जबकि कांग्रेस दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू सकी। उसे मात्र नौ सीटों से संतोष करना पड़ा। इस आंधी में कांग्रेस के कई दिग्गज नेता तक धराशायी हो गए। 13 महीने की कांग्रेस सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे प्रियव्रत सिंह, जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा और सिंचाई मंत्री रहे सुखदेव पांसे तक अपनी सीट नहीं बचा पाए। दिग्विजय सिंह के अनुज लक्ष्मण सिंह को भी हार का मुंह देखना पड़ा।
शिवराज की मौजूदगी से लाभ
बैतूल में कांग्रेस को सर्वाधिक नुकसान
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