खिलाड़ी अपार, इंदौर में बेहतर स्टेडियम की दरकार

 इंदौर- शहर अपनी संपन्नताओं के बावजूद खेल सुविधाओं में पिछड़ा है। खेलों में पहले पायदान पर होने के लिए मशक्कत करने वाले इंदौर के खेल जगत को यह बात पीड़ा पहुंचाती है। खेल जगत को अपने परिश्रम से जीवंत बनाए रखने वाली सभी आवाज यही पुकार करती नजर आती है कि इंदौर में खिलाड़ी अपार हैं, लेकिन बेहतर स्टेडियम की दरकार है। क्रिकेट की संपन्नता की बात होती है, लेकिन खेल से जुड़े पदाधिकारी मानते हैं कि शहर में बड़े अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम की दरकार है, पर ‘सरकार’ सुनती नहीं।

वर्तमान स्टेडियम छोटा और शहर के बीच होने से पार्किंग सहित अन्य दिक्कतों से भी वे वाकिफ हैं। नया स्टेडियम बनाना चाहते हैं, लेकिन खेलों के लिए आरक्षित जमीन भी खेल संघ को बाजार भाव से खरीदने के लिए बाध्य किया जाना दुखी करता है। यह तब हो रहा है जब शहर में अलग-अलग क्लस्टरों के लिए बुला-बुलाकर जमीनें बांटी जा रही हैं, फिर खेल के प्रति ऐसा दोहरा रवैया क्यों? इस प्रश्न का जवाब सभी तलाश रहे हैं।

यही हाल अन्य खेलों का भी है। शहर 40 साल पहले भी जिन मैदानों पर निर्भर था, वे अब सिमटते जा रहे हैं नेहरु स्टेडियम जर्जर हो चुका है, योजनाओं की घोषणा खुशी देती हैं, लेकिन पिछला रिकार्ड संदेह पैदा करता है। शहर में ही करीब दो दशक से खेल विभाग का स्टेडियम बीरबल की खिचड़ी की गति से बन रहा है।

इस बीच भोपाल सहित अन्य शहरों में स्टेडियम बनकर तैयार हो गए। इंदौर भी यही चाहता है कि हर विधानसभा में स्टेडियम, स्पोर्ट्स होस्टल, स्पोर्ट्स सेंटर बने और अच्छी सुविधाएं मिलें। स्टेडियम बनने से खिलाड़ियों को लाभ मिलेगा। खेल संगठनों के पदाधिकारियों ने ये सुझाव नईदुनिया द्वारा आयोजित सुनिए सरकार, मध्यप्रदेश की पुकार अभियान के तहत इंदौर में अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम बनाने की मांग को लेकर आयोजित संवाद में दिए।

खेल गतिविधियों पर प्रशासन का ध्यान नहीं
मध्य प्रदेश ओलिंपिक संगठन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष ओम सोनी ने कहा कि इंदौर में खेल गतिविधियों पर प्रशासन का ध्यान बिल्कुल भी नहीं है। 40 वर्षों से सुनते आ रहा हूं कि नेहरू स्टेडियम में 500 करोड़ रुपये खर्च कर इसे बेहतर बनाया जाएगा, लेकिन कुछ नहीं हुआ। सिर्फ वादे और घोषणा ही नेता करते रहे। इंदौर में अलग-अलग खेल सके करीब 10 हजार खिलाड़ी हैं, प्रदेश में सबसे अधिक यहीं हैं। खेलो एमपी में पदक भी सबसे अधिक यहां के खिलाड़ी ही जीते हैं।
इंदौर में भी बने स्पोर्ट्स सेंटर
पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर अमय खुरासिया ने बताया कि हर साल सरकार बस वादों तक ही सीमित रह जाती है। भोपाल में खेल सेंटर है, ऐसे सेंटर इंदौर में भी बनना चाहिए। जहां सभी खेल गतिविधियां संचालित हो सकें, ताकि इंदौर के खिलाड़ी देश को पदक दे सकें। खिलाड़ी आज कम संसाधनों के बीच ही अंतरराष्ट्रीय स्तर के पर खेलों में आगे बढ़ रहे हैं।
सरकार गोद ले खेल संस्थाएं
मप्र क्रिकेट संगठन के प्रबंधनकारिणी सदस्य और स्टेट पैनल अंपायर राजूसिंह चौहान ने बताया कि इंदौर के खिलाड़ी काफी मेहनत कर रहे हैं, उन्हें नौकरी भी मिलना चाहिए। खेल की जो संस्थाएं हैं, उनमें सुरक्षा के नाम पर कुछ नहीं है। संस्थाओं को सरकार को गोद लेना चाहिए। निर्वाचन के लिए शहर में कई स्थान हैं, लेकिन नेहरू स्टेडियम ही क्यों।
स्पोर्ट्स होस्टल की आवश्यकता
मप्र रणजी टीम के पूर्व कप्तान और आइडीसीए के सचिव देवआशीष निलोसे ने कहा कि उत्तर प्रदेश में खेल के स्कूल और कालेज हैं, जहां खिलाड़ियों को प्रशिक्षण के साथ ही होस्टल सहित कई सुविधाएं मिलती हैं। इसी प्रकार सरकार को इंदौर में भी योजना बनाकर काम करना चाहिए, वहीं खेल कोटे में नौकरी और छात्रवृत्ति भी मिलना चाहिए, ताकि उनका मनोबल बना रहे।
खिलाड़ियों को सड़क पर खेलना पड़ रहा
हाकी इंदौर संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष देवकीनंदन सिलावट ने कहा कि हमारे राष्ट्रीय खेल हाकी के लिए इंदौर के खिलाड़ी सात वर्ष से स्टेडियम के लिए जुझ रहे हैं। खिलाड़ियों को सड़क पर खेलना पड़ रहा है। इंदौर में हाकी के लिए स्टेडियम तैयार होना चाहिए ताकि खिलाड़ी अच्छे से प्रशिक्षण प्राप्त कर सके।
खिलाड़ी ज्यादा, अच्छी सुविधाएं मिलें
भारतीय जूनियर डेविस कप टीम के कोच साजिद लोदी ने बताया कि खिलाड़ियों की संख्या बढ़े इसलिए उन्हें अच्छी सुविधाएं मिलना चाहिए। सरकार इनकी सुविधाओं पर विशेष ध्यान दें। शहर में कई प्रतिभाएं है, जिन्हें बाहर निकालने की आवश्यकता है। पूर्व राष्ट्रीय खिलाड़ी व फुटबाल कोच राकेश सिरसिया ने कहा कि नई सरकार के विधायक अपनी-अपनी विधानसभा में स्टेडियम बनाएं। ताकि खिलाड़ियों को खेलने की बेहतर सुविधाएं मिल सके।
शासकीय स्कूलों में भी मैदान नहीं
वरिष्ठ एनआइएस कोच अशोक यादव ने बताया कि प्रकाश क्लब मैदान के लिए मुख्यमंत्री ने 15 करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे, लेकिन कोई काम नहीं हुआ। फुटपाथ पर खेलने के कारण खिलाड़ी चोटिल हो रहे हैं। हमारे यहां शासकीय स्कूलों में भी मैदान नहीं हैं। नई सरकार को सभी शासकीय स्कूलों में मैदान बनाने के साथ ही हर खेल का स्टेडियम बनाने की आवश्यकता है।
सामान की गुणवत्ता खराब
मप्र जिम्नास्टिक संगठन के अध्यक्ष अभय राहुल ने कहा कि खिलाड़ियों को सर्टिफिकेट के अलावा कुछ भी नहीं मिलता है, वहीं जो सामान मिलता है, उसकी गुणवत्ता इनकी खराब होती है कि उन्हें संभालना मुश्किल होता है। सरकार खेलों को आगे बढ़ाने के लिए जो भी निर्णय लेती है, उसमें खेल एसोसिएशन के प्रतिनिधि सलाहकार के रूप में हो, ताकि खेल के लिए मिलने वाली राशि का सदुपयोग हो सके।
नेहरू स्टेडियम की हालत को सुधारने की आवश्यकता
पूर्व अंतरराष्ट्रीय टेबल टेनिस खिलाड़ी और इंदौर जिला संगठन सचिव निलेश वैद्य ने बताया कि नए स्टेडियम के साथ ही शहर में नेहरू स्टेडियम की हालत को सुधारने की आवश्यकता है। खेल कोटा बंद कर दिया गया है। खिलाड़ियों को रेलवे में टिकट दर में रियायत के साथ ही इनके लिए एजुकेशन पालिसी में भी बदलाव होना चाहिए, जिससे इन पर पढ़ाई का भार कम हो और ये अच्छे से खेल सकें।
नेहरू स्टेडियम शहर के बीच में, आवागमन में होती है परेशानी
मप्र क्रिकेट संगठन के पूर्व सचिव और भारतीय टीम के पूर्व प्रबंधक मिलिंद कणमड़ीकर ने बताया कि इंदौर में स्टेडियम बनाना चाहते हैं, लेकिन जो जमीन मिल रही है उसके लिए आइडीए बाजार भाव के हिसाब से पैसे मांग रहे हैं। सुपर कारिडोर पर स्टेडियम बनने से सभी खिलाड़ियों को लाभ मिलेगा। अभी नेहरू स्टेडियम शहर के बीच में है, जिससे आवागमन में भी परेशानी होती है।
भ्रष्टाचार के कारण कोई सामान नहीं ले पाते
विक्रम अवार्डी कुश्ती कोच ओमप्रकाश खत्री ने कहा कि हमारे यहां क्रीड़ा परिषद होना चाहिए। अभी इतनी ज्यादा नौकरशाही है कि भ्रष्टाचार के कारण हम कोई सामान ही नहीं ले पाते हैं। इंदौर में दो ओलिंपिक और 18 अंतरराष्ट्रीय पहलवान हैं, लेकिन उनके लिए भी कोई सुविधाएं नहीं हैं। जो भी खेल होते हैं, वह भी भोपाल में ही होते हैं।
खेलने के लिए मैदान नहीं इसलिए स्टेडियम की जरूरत
बैडमिंटन के राष्ट्रीय रेफरी और कोच धर्मेश यशलहा ने कहा कि शहर को स्टेडियम की काफी आवश्यकता है, क्योंकि खिलाड़ियों के खेलने के लिए मैदान ही नहीं है। एक स्टेडियम है जिसे चुनाव के समय में खिलाड़ियों के लिए बंद कर दिया जाता है। हर क्षेत्र में एक इंडोर खेल स्टेडियम होना चाहिए।
फिजिकल फिटनेस के आधार पर मिले नौकरी
जिला फुटबाल संघ के अनुराग मुनीम ने बताया कि फिजिकल फिटनेस के आधार पर खिलाड़ियों को नौकरी मिलना चाहिए। मध्य प्रदेश में स्मार्ट स्टेडियम बने ताकि यहां अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा आयोजित हो सके। मप्र हैंडबाल संघ के सचिव हरदीप सिंह रूप्पल ने कहा कि नई सरकार खिलाड़ियों के ठहरने के लिए भी व्यवस्था करे। पहले भी हर विधानसभा में एक स्टेडियम का वादा किया था, लेकिन वह पूरा नहीं हुआ।
मैदानों में होने वाले सभी आयोजन बंद हों
कबड्डी के राष्ट्रीय रेफरी अनिल गौड़ ने बताया कि इंदौर में प्रो कबड्डी होने वाली थी, लेकिन स्टेडियम ही नहीं है, जहां खिलाड़ी खेल सकें। इंदौर में एक इंडोर स्टेडियम होना चाहिए, जहां बड़े मुकाबले हो सकें। साफ्टबाल के कोच राकेश मिश्रा ने कहा कि मैदानों में आज भी शादी समारोह होते हैं, जिसके कारण खिलाड़ियों को तीन दिन तक मैदान की सफाई करनी होती है। मैदानों में होने वाले सभी आयोजनों को बंद करवाना चाहिए।

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