कृषि अनुसंधान संस्थान केंद्र में सरसों फसल में जैविक कीट नियंत्रण पर प्रशिक्षण

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के गुरुग्राम के शिकोहपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र ने सरसों की फसल में जैविक कीट नियंत्रण विषय पर चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें क्षेत्र के 20 कृषकों ने भाग लिया l प्रशिक्षण कार्यक्रम के कोऑर्डिनेटर एवं कीट वैज्ञानिक डॉ. भरत सिंह ने जानकारी दी कि रबी मौसम के दौरान पूरे जिले भर में सरसों फसल की खेती बहुत  की जाती है l इस फसल में अंकुरण से लेकर परिपक्वता तक अनेकों कीटों तथा रोगों का संक्रमण जारी रहता है जोकि इस फसल की उत्पादन क्षमता को 10 से 36 प्रतिशत या इससे भी अधिक नुकसान करते हैं l इनमे मुख्यतः सरसों का दगीला कीट, आरा मक्खी, माहू, रोयेंदार सुंडी तथा पत्ती का धब्बा रोग, अल्टरनेरिया झुलसा, सफेद रतुआ व तना सडन रोग शामिल है l

इसके साथ ही सरसों के हानिकारक कीटों पर प्रभावी भक्षी कीट जैसे लेडीबर्ड बीटल, क्राईसोपेर्ला तथा सिरफिड मक्खी के ग्रब इन हानिप्रद कीटों का भक्षण कर उन्हें नष्ट कर देते हैं जबकि डायरेटीला व ब्राकोन जैसे परजीवी कीट माहू एवं अन्य प्रकार के गिडार कीटों पर परजीवी के रूप में आश्रित रहकर उन्हें प्राकृतिक तरीके से मार दिया जाता है l प्रशिक्षण में शामिल कृषकों को हानिप्रद कीटों व रोगों की पहचान सरसों की फसल के पारिस्थितिकी  तंत्र में मौजूद किसान हितैषी कीटों के संरक्षण, उनकी गुणन व वृद्धि तथा प्रबंधन हेतु प्रचलित जैविक कीटनाशकों के प्रयोग की विधि के बारे में जानकारी दी गई l यदि कृषक इन सभी तथ्यों को समझ कर लागू करें तो 5 से 10,000 रुपए प्रति एकड़ फसल लागत में कमी तथा फसल के उत्पादन में 25 से 30 प्रतिशत तक वृद्धि होती है l प्रशिक्षण में भाग ले रहे प्रगतिशील कृषक सतबीर यादव ने केंद्र के सभी वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों के प्रति आभार प्रकट किया तथा सभी कृषकों को इस प्रशिक्षण से नवीनतम जानकारी को क्रियान्वित कर फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित किया l

Loading

Leave a Reply

लेटेस्ट न्यूज़

MP Info लेटेस्ट न्यूज़

error: Content is protected !!