वैश्विक बाजारों में चावल की कीमतों में किसी भी प्रकार की कोई कमी की सभावनांए फिलहाल दिखाई नहीं दे रही हैं। विश्व बैंक ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट जारी की हैं। विश्व बैंक की ग्लोबल कमोडिटी आउटलुक के मुताबिक 2025 से पहले चावल की वैश्विक कीमतों में कोई उल्लेखनीय कमी आने की संभावना नहीं है। चावल की कीमतों में वृध्दि का प्रमुख कारण अलनीनो का जोखिम जारी रहना और दुनिया के प्रमुख निर्यातकों और आयातकों के नीतिगत फैसले और चावल उत्पादन और निर्यात के बाजार में संकुचन है।
विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट के अनुसार तुलना में 2023 में वैश्विक बाजार में चावल की कीमत औसतन 28 प्रतिशत अधिक है। 2024 तक वैश्विक बाजार में चावल की कीमतों में 6 प्रतिशत और तेजी आने की संभावनाएं है।
इसके कारण भारत में कीमतों में बढ़ोत्तरी की अशंका से चिंता बढ़ गई हैं क्योकि अगस्त के महीने में कम बारिश के कारण 2023 में घरेलू बाजार में खरीफ में चावल का उत्पादन कम होने की संभावनांए है।
केंद्र सरकार ने भारत से चावल के निर्यात पर पहले ही प्रतिबंध लगा दिया हैं। गौरतलब है कि भारत में चावल की कुछ किस्मों पर 20 फीसद निर्यात शुल्क है और बासमती चावल पर न्यूनतम निर्यात मूल्य लागू है। कैंद्र सरकार के इस कदम से वैश्विक बाजार में चावल के निर्यात में 40 प्रतिशत आपूर्ति कम हो गई हैं।