बन गया माहौल चुनाव लड़ेंगी निशा बांगरे

भोपाल- छतरपुर की पूर्व डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने एक वीडियो बयान जारी कर कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में मैं नामांकन भरूंगी भी,और चुनाव लडूंगी भी। इसके बाद भी यदि द्वेष पूर्ण भावना के द्वारा मेरा नामांकन खारिज किया जाता है या मेरा इस्तीफा अस्वीकार करके चुनाव लडऩे से रोका जाता है तो अपने अधिकारों से वंचित रहकर जीवित रहने से बेहतर मैं आमरण अनशन कर अपने प्राण त्यागना पसंद करूंगी। बांगरे ने कहा कि दुनिया की कोई भी ताकत उन्हें चुनाव लडऩे से नहीं रोक सकती। यदि दुर्भावना पूर्ण कार्रवाई के द्वारा उन्हें चुनाव लडऩे से रोका जाता है या उन्हें परेशान करने की नीयत से उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया जाता है तो वह आमरण अनशन करके अपने प्राण त्याग देंगी, लेकिन अपने अधिकारों से समझौता करके जीना पसंद नहीं करेंगे।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार मुझे चुनाव लडऩे से रोक रही है। जानबूझकर मेरा इस्तीफा स्वीकार नहीं किया जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि इस्तीफा स्वीकार नहीं करने पर वे आमरण अनशन पर बैठेगी। उन्होंने कहा कि भाजपा ने जज, शिक्षक और डॉक्टर को एक दिन में इस्तीफा दिलाकर प्रत्याशी घोषित कर दिया। लेकिन मुझे मेरे संवैधानिक अधिकारों से वंचित रखने की कोशिश की जा रही है। निशा बांगरे से इसे लेकर सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को लेटर भी लिखा है। बता दें निशा बांगरे ने डिप्टी कलेक्टर के पद से इस्तीफा दे दिया था। जिसे सरकार ने मंजूर नहीं किया। उन्होंने जारी आदेश का जवाब देते हुए प्रमुख सचिव को चार पेजों का लेटर लिखा है।

इसमें उन्होंने साफ कहा कि उन्हें जो सजा दी जाए, वे स्वीकार करने को तैयार हैं। लेकिन इस्तीफा अस्वीकार कर उन्हें चुनाव लडऩे से न रोका जाए। निशा बांगरे ने कहा कि मुझे अगर संवैधानिक अधिकारों का इस्तेमाल करने से रोका गया तो मैं भी बाबा साहब की बेटी हूं। आगामी विधानसभा चुनाव में दुनिया की कोई ताकत मुझे चुनाव लडऩे से रोक नहीं सकती। मैं अपना नामांकन फॉर्म भरूंगी। मुझे न्यायपालिका और चुनाव आयोग पर पूरा विश्वास है। न्यायपालिका और चुनाव आयोग इसको संज्ञान में ले। आयोग मेरा नामांकन पत्र स्वीकार करे। यदि मेरा नामांकन पत्र अस्वीकार किया गया और मेरा इस्तीफा मंजूर नहीं किया गया तो मैं नामांकन स्वीकार करने तक आमरण अनशन पर बैठूंगी। अन्न और जल का त्याग कर दूंगी। इसकी सारी जिम्मेदारी मध्यप्रदेश शासन की होगी।
उन्होंने बताया कि किस तरीके से उन्हें अपने ही घर के उद्घाटन कार्यक्रम में आयोजित सर्वधर्म प्रार्थना में जाने से तथा भगवान बुद्ध की अस्थियों के दर्शन करने से शासन के पत्र द्वारा उन्हें रोका गया और जब इससे आहत होकर उन्होंने इस्तीफा दिया तो उन्हें तरह तरह से परेशान किया जा रहा है।  इस्तीफा उन्होंने इसलिए दिया था ताकि वह अपने घर पर आयोजित कार्यक्रम में सम्मिलित हो सके। इसीलिए इस्तीफा देने के बाद ही वह कार्यक्रम में सम्मिलित हुई।  इसके बावजूद शासन के द्वारा बैक डेट पर उन्हें नोटिस जारी किए गए। 1 महीने तक उनके इस्तीफा पर कोई निर्णय नहीं लिया गया।

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