खंडवा

विश्व को शांति और एकता का संदेश देगी एकात्मता की प्रतिमा : मुख्यमंत्री

ओंकारेश्वर में शिवराजसिंह चौहान ने आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा का किया अनावरण - 2 हजार 200 करोड़ की लागत से बनने वाले अद्वैतलोक का किया शिलान्यास

अनोखा तीर, खंडवा/ओंकारेश्वर। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को खंडवा जिले के ओंकारेश्वर में मांधाता पर्वत पर संत समुदाय के साथ आदि गुरु शंकराचार्य की अष्टधातु 108 फीट ऊंची एकात्मता की प्रतिमा का अनावरण किया। उन्होंने मांगलिक अनुष्ठान के साथ 2 हजार 200 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले अद्वैत-लोक का शिलान्यास किया। इस अवसर पर खंडवा जिले की प्रभारी मंत्री एवं संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री सुश्री उषा ठाकुर, क्षेत्र के विधायक नारायण पटेल, स्वामी अवधेशानंद जी गिरी महाराज, परमात्मानंद जी, स्वामी स्वरूपानंद जी, स्वामी तीर्थानंद जी महाराज सहित देशभर से आए लगभग 5 हजार साधु-संत उपस्थित थे। ओंकारेश्वर में संतजनों के आगमन पर केरल की पारंपरिक पद्धति से अतिथियों का स्वागत किया गया। विभिन्न राज्यों से आये सांस्कृतिक नृत्य-दलों के कलाकारों ने शैव परंपरा के नृत्यों की प्रस्तुति देते हुए आध्यात्मधाम में सभी का स्वागत किया। सनातन संस्कृति से ओत-प्रोत सांस्कृतिक नृत्यों ने कार्यक्रम स्थल को आध्यात्मिक भाव से परिपूर्ण कर दिया। अद्वैत-लोक के मांगलिक अनुष्ठान के अवसर पर मान्धाता पर्वत पर उपस्थित जनों को आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वातावरण में अध्यात्म की दिव्य अनुभूति हुई। वैदिक यज्ञ में आहुति के बाद मुख्यमंत्री श्री चौहान ने यज्ञ के पंडितों को और वेद पाठ कर रहे वेद पाठियों का अभिवादन किया। इसके बाद मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रतिमा के समक्ष साष्टांग प्रणाम किया। उन्होंने कहा कि आदिगुरू शंकराचार्य की एकात्मता की प्रतिमा विश्व को शांति और एकता का संदेश देगी। अनावरण के बाद मुख्यमंत्री श्री चौहान ने उपस्थित साधु-संत, संन्यासियों और विद्वानों को भोजन के लिए आमंत्रित कर अन्नपूर्णा लेकर आए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने पत्नी श्रीमती साधना सिंह के साथ पूज्य साधु-संत, संन्यासियों तथा विद्वानों को भोजन-प्रसादी स्वयं परोसी। पूज्य साधु-संतों ने मुख्यमंत्री श्री चौहान को शॉल ओढ़ाकर एवं मिष्ठान खिलाकर आशीष दिया।

एकात्मता की मूर्ति

– एकात्म धाम में स्थापित आचार्य शंकर की प्रतिमा का नाम एकात्मता की मूर्ति (स्टैच्यू ऑफ वननेस) है।

– 108 फीट की अष्टधातु मूर्ति आचार्य शंकर के बाल रूप 12 वर्ष की आयु की है।

– मूर्ति के आधार में 75 फीट का पैडेस्टल है।

-यह मूर्ति पाषाण निर्मित 16 फीट के कमल पर स्थापित है।

– मूर्तिकार भगवान रामपुरे एवं चित्रकार वासुदेव कामत के मार्गदर्शन में मूर्ति का निर्माण किया गया है।

– प्रतिमा में 88 प्रतिशत कॉपर, 4 प्रतिशत जिंक, 8 प्रतिशत टिन का उपयोग किया गया है। प्रतिमा 100 टन वजनी है।

– कुल 290 पैनल से यह मूर्ति निर्मित की गई है।

– समग्र अधोसंरचना के निर्माण में उच्च गुणवत्ता के 250 टन के स्टेनलेस स्टील का उपयोग किया गया है।

– कंक्रीट के पैडस्टल की डिजाइन 500 वर्ष तक की समयावधि को ध्यान में रखकर की गई है।

 

 

आदि शंकराचार्य के अद्वैत दर्शन में है वैश्विक समस्याओं का हल

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि वैश्विक समस्याओं का हल आदि शंकराचार्य के अद्वैत दर्शन में उल्लेखित एकात्मवाद में है। श्री चौहान ने आज खण्डवा जिले के ओंकारेश्वर में सिद्धवरकूट क्षेत्र में ब्रम्होत्सव को संबोधित करते हुए कहा कि ओंकारेश्वर में एकात्म धाम भारत की सनातनी परम्परा और एकता के विचार को अभिव्यक्त करने का कार्य करेगा। समारोह में देश से हजारों संत, आध्यात्मिक विचारक और प्रबुद्धजन उपस्थित थे। श्री चौहान ने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम भारत का आदर्श विचार है। एक ही चेतना सभी मनुष्यों-प्राणियों में व्याप्त है। तेरा-मेरा की बात करने वाले व्यक्ति छोटे हृदय के होते है। मनुष्यों के साथ पशु-पक्षियों के कल्याण का दर्शन सिर्फ भारत में मिलेगा। तुलसी, कबीर और अन्य संतों एवं विचारकों ने मानव कल्याण को सर्वोपरि माना है। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज खण्डवा जिले के ओंकारेश्वर में सिद्धवरकूट क्षेत्र में ब्रम्होत्सव को सम्बोधित कर रहे थे, जिसमें मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में परिव्रजन योजना पर कार्य किया जाएगा। इसके तहत सेवा कार्य के पवित्र उद्देश्य से प्रवास और अन्य स्थान पर समाज के उपयोगी प्रकल्प अपनाने के लिए नागरिकों के साथ ही संत समाज को भी जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि विकासखण्ड का चयन कर युवाओं के माध्यम से अद्वैत के सिद्धान्त का प्रचार किया जाएगा। आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास ने शिविरों के माध्यम से युवाओं को एकात्मता और मानव कल्याण के विचार से जोड़ा है। इस कार्य में संतों का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि ओंकारेश्वर में आज ऐसे अद्भूत अद्वैत लोक के लिए भूमिपूजन हुआ है जो आने वाली पीढी को इस दर्शन की जानकारी देकर भविष्य संवारेगा। अद्वैत लोक से एकात्मता और शांति का संदेश दुनिया भर में जाएगा। यह दर्शन नई पीढी के मन-मस्तिष्क तक पहुंचेगा। आचार्य शंकर अंतर्राष्ट्रीय वेदांत संस्थान एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक इस विचार को स्थानांतरित भी करेगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जगतगुरू शंकराचार्य जी 8 वर्ष की आयु में करीब 1675 किलोमीटर की यात्रा कर ओंकारेश्वर पहुंचे थे। यहां उन्होंने दीक्षा प्राप्त की। भगवान राम ने भारत को उत्तर से दक्षिण तक जोड़ा था। भगवान कूष्ण ने पूरव से पश्चिम को जोड़ा, लेकिन शंकराचार्य जी ने सम्पूर्ण भारत को चारों दिशाओं में बांधने का कार्य किया। शंकराचार्य जी थे तभी आज भारत है।

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