अनोखा तीर हरदा। मध्यप्रदेश के शासकीय स्कूलों में पदस्थ शिक्षकों को तय तिथि से चार साल बाद भी क्रमोन्नति नहीं मिली है। विभागीय उलझनों में क्रमोन्नति का इंतजार करते-करते उन्हें अब तक इसका लाभ नहीं मिला, इससे प्रदेश के शिक्षकों को लाखों का नुकसान हो गया है। इस कारण अध्यापकों में सरकार के प्रति असंतोष विद्यमान है। फिर भी नवीन शिक्षक संवर्ग की क्रमोन्नति को लेकर सरकार गंभीर नहीं है। नियमानुसार 12 साल की सेवा पूर्ण करने पर शिक्षकों को क्रमोन्नति दी जानी है। ये शिक्षक जुलाई 2018 में ही इसके पात्र हो गए थे। लेकिन नए चार साल बीतने पर भी क्रमोन्नति कैडर के नियमों व तत्कालीन विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण प्रक्रिया ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है।
क्या है समस्या
नवीन शिक्षण संवर्ग को जुलाई 2018 व उसके बाद की गई क्रमोन्नति की कार्यवाही प्रमुख सचिव मप्र शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 27 जुलाई 2019 को जारी पत्र सभी जिला शिक्षा अधिकारी को संबोधित है। इसके अनुसार जुलाई 2018 व उसके बाद 12 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर नवीन शिक्षक संवर्ग को क्रमोन्नति दिए जाने का स्पष्ट उल्लेख है। साथ ही क्रमोन्नति के लिए 12 वर्ष की सेवा की गणना के लिए संविदा शिक्षक की सेवा अवधि को भी गणना में लिए जाने का उल्लेख है।
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