आप जो यह तस्वीर देख रहे हैं, वह शहर के चन्द्रशेखर आजाद वार्ड क्रमांक 2 का दृश्य है। जहां गाडरी मंदिर के ठीक नजदीक ये हैंडपंप मनमानी के चलते अनुपयोगी साबित हो रहा है। जबकि पूर्व में यही हैंडपंप भरपूर पानी देने के साथ साथ स्थानीय रहवासियों के लिये वैकल्पिक व्यवस्था के समान था। परंतु जब से हैंडपंप से सटाकर दीवार खड़ी हुई है, तबसे व्यवस्था पूरी तरह पटरी से उतर गई है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर इसका समाधान क्या है ? साल दर साल बीतने के बावजूद इसकी सुध क्यों नही ली ? इस बारे में स्थानीय रहवासियों का कहना है कि जब यह समस्या सामने आई थी, तब नपा सहित अन्य स्तरों पर शिकायतें की। लेकिन कोई निष्कर्ष नही निकला। थक-हारकर हैंडपंप को संरक्षित करने का विचार ही त्याग दिया। तभी से यही हाल है। उन्होंनें बताया कि इसके अलावा पास में कुंआ भी है, जो देखरेख व रखरखाव के अभाव में गुमनामी के दौर से गुजर रहा है। दो तरफ से निर्माण कार्य ने कुंए को घेर लिया है। स्थिति यह है कि जलस्त्रोतों का ये हाल देखकर लोग कहना नही चूकते, कि यह बात गलत है।
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