प्रदीप शर्मा, हरदा। सोमवार को स्थानीय पेड़ीघाट स्थित गणेश मंदिर से विकास ढूंढो यात्रा की शुरुआत कर भारत जोड़ो पदयात्री सुश्री अवनी बंसल ने अपने तेवरों से साफ संदेश दे दिया है कि राजनीति में यदि कुछ अगर-मगर नहीं हुआ तो वे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का ध्वज थामने को तैयार हैं। एक दिन पूर्व भी सुश्री बंसल ने पत्रकारों से परिचय वार्ता में सब कुछ हाईकमान के हवाले बताकर संकेत दिए थे कि चुनावी राजनीति से उन्हें कोई परहेज नहीं है।
उच्च रणनीति का हिस्सा
दरअसल अवनी बंसल की कहानी यहीं से शुरू नहीं होती कि वे पिछले दो-चार महीनों से नगर के सामाजिक जीवन में सक्रिय भाग लेकर राजनीतिक चर्चा में आ गई हैं। बल्कि इसके उलट उनकी राजनीतिक जड़ें कहीं अधिक गहरी हैं। अमेरिका की हार्वर्ड और इंग्लैंड की आक्सफोर्ड जैसी विश्वप्रसिद्ध यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई में उच्च शिक्षित सुश्री अवनी बंसल कांग्रेस के विचारों और संस्कारों में रची बसी होने के साथ उस युवा पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करती हैं जो पार्टी विचारधारा के प्रहरी हैं।
युवा नेतृत्व आगे लाने की रणनीति
लगभग एक दशक पूर्व जब कांग्रेस की राजनीति राहुल गांधी का पदार्पण हो रहा था। तभी पार्टी अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी की किचन कैबिनेट ने पुराने बुजुर्ग नेताओं को दरकिनार कर युवा नेतृत्व को आगे लाने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया था। इस दौर में पार्टी हाईकमान ने युवक कांग्रेस में शिक्षित वैल-एजुकैटेड युवाओं की टीम बनाने राष्ट्रीय और प्रांतीय प्रवक्ताओं का चुनाव करने टेस्ट लिया। अखिल भारतीय स्तर पर हुए टेस्ट में देशभर से चुनी गई 3०० युवाओं की टीम में अवनी बंसल भी शामिल थी। आलाकमान ने युकां के राष्ट्रीय प्रवक्ता दल में शामिल कर उन्हें नईदिल्ली का दायित्व सौंपा। उन्होंने अपना काम बखूबी संभालते हुए महिला संगठन पर विशेष कार्य किए। खासकर उनके द्वारा शुरू की गई स्त्री हेल्पलाइन को खूब सराहना भी मिली। इस तरह अपनी कार्यशैली से वे जल्द ही हाईकमान की गुडलिस्ट में शामिल हो गई। बीते वर्ष कन्याकुमारी से कश्मीर तक 23 राज्यों से गुजरी भारत जोड़ो यात्रा में उन्हें देश व प्रदेश की राजनीति करीब से समझने का मौका मिला। उच्च राजनीतिक सोर्स से छनकर आई सूचनाओं पर यकीन किया जाए तो हाईकमान से प्रशिक्षित युवाओं की टीम उन स्थानों पर भेजी जा सकती है जहां पार्टी की स्थिति कमजोर है। ऐसी सीटों पर राहुल के विश्वस्त कार्यकर्ताओं को लाकर कांग्रेस एक बार फिर मजबूती से आगे बढ़ सकेगी।
सोची-समझी रणनीति
बीते दिनों हरदा विधानसभा सीट पर पार्टी के मुख्य संगठन को छेड़े बिना कांग्रेस के ध्वज तले अवनी बंसल अपने प्रयासों से तेवर प्रदान कर संगठन को गतिमान कर रही हैं। इसमें उनके साथ पार्टी का कैडरबेस सेवादल और महिला संगठन को साथ लिया गया है। मगर अल्पावधि में ही उनका नाम चर्चा में आ गया। उससे लगता है कि आगामी विधानसभा चुनाव की दृष्टि से यह चाय की प्याली में आया तूफान नहीं, बल्कि आने वाली किसी आंधी का सूचक है।
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