कूनो में चीता शावक की मौत, प्रबंधन पर उठे सवाल

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गणेश पांडे, भोपाल। कूनो नेशनल पार्क से एक बुरी खबर सामने आई है। हाल ही में जन्में मादा चीता ज्वाला के चार शावकों में से एक चीता शावक की बीमारी के चलते मंगलवार को मौत हो गई। विशेषज्ञों का कहना है कि यह नुकसान चीता शावकों के लिए अपेक्षित मृत्यु दर के भीतर है। उल्लेखनीय है कि कूनो में 24 मार्च को मादा चीता ने चार शावकों को जन्म दिया था। वे लगातार स्वस्थ थे और अपनी मां के साथ वक्त बिता रहे थे। मॉनीटरिंग के दौरान एक शावक बीमार मिला था, जिसने मंगलवार को दम तोड़ दिया। पीसीसी वाइल्ड लाइफ जसवीर सिंह ने शावक की मौत की पुष्टि की है। कूनो नेशनल पार्क में बीते दो महीने में तीन चीतों की मौत हो चुकी है, वहीं एक शावक ने भी दम तोड़ दिया है। लगातार कूनो में घट रहे चीतों के कुनबे से अब एक बार फिर चीता प्रोजेक्ट की सफलता पर सवाल पर उठ रहे हैं। वहीं चीतों की मौत से अधिकारी भी चिंतित हैं। शावक से पहले चीता साशा, दक्षा और नर चीते उदय की मौत हो चुकी है। तीन चीतों और एक शावक की मौत के बाद अब कूनो में 17 चीते और तीन शावक शेष बचे हैं।

चीता शावकों की मृत्यु दर सबसे अधिक

जंगली चीतों के लिए शावकों की मृत्यु दर विशेष रूप से अधिक होती है। इस कारण से चीते अन्य जंगली बिल्लियों की तुलना में बड़े बच्चों को जन्म देने के लिए विकसित हुए हैं। यह उन्हें उच्च शावक मृत्यु दर लॉरेनसन एट अल 1992, कारो 1994 और क्रोसियर एट अल 2018 की भरपाई करने में सक्षम बनाता है।

मौत का कारण डिहाइड्रेशन

मौत का कारण डिहाइड्रेशन बताया जा रहा है। एक कूड़े में कमजोर चीता शावक आमतौर पर अपने मजबूत भाई-बहनों की तुलना में कम चूसते हैं। इस मौत को सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। प्राकृतिक चयन प्रक्रिया के तहत जीन पूल से कमजोर चीतों को हटा दिया जाएगा। यह सुनिश्चित करता है कि जंगली चीता के जीवित रहने के लाभ के लिए केवल सबसे योग्य और सबसे मजबूत जीवित रहे।

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