नजदीकी इलाकों का बुरा हाल….
मुक्तिधाम के पास स्थित डंपिंग ग्राउंड पर कचरे में रह-रहकर लगने वाली आग तथा आग से उठने वाला हानिकारक धुंआ शहर के पर्यावरण लगातार प्रदूषित कर रहा है। जिसकी जद में आने से नजदीकी आबादी क्षेत्र इस समस्या सर्वाधिक ग्रसित हैं। शहरवासियों की इस ज्वलंत समस्या को दैनिक अनोखा तीर ने 19 मई के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित कर जिम्मेदारों का ध्यान इस ओर दिलाने का प्रयास किया था। परंतु इसी दिन रात के समय कुड ऐसा हुआ कि यहां सु गुजरने वाले लोग दंग रह गए।
बायपास पर रहा सर्वाधिक असर
एक दिन पहले प्रकाशित खबर
अनोखा तीर, हरदा। बीती रात शहर के खंडवा बायपास मार्ग पर कुछ ऐसा देखने को मिला, जो केवल ठंड के समय देखने को मिलता है। जिस वजह से वाहनों की रफ्तार धीमी पड़ गई थी। जी हॉ, हम बात कर रहे हैं कोहरे की। परंतु ये कोई कोहरा नही था बल्कि मुक्तिधाम के पास डंपिंग ग्राउंड में लगी आग के कारण उठने वाला धुंआ था। जिसने आसपास के इलाकों को पूरी तरह जकड़ लिया था। स्थानीय रहवासी तो इस समस्या से आए दिन दो-चार कर रहे हैं। लेकिन अन्य शहरवासियों के साथ-साथ बाहरी लोग ये सब देखकर दंग रह गए। वहीं इस समस्या को लेकर कई सवाल भी उठायें गए। जानकारी के अनुसार बीती रात अज्ञात तत्वों ने कचरे के ढ़ेर में आग लगा दी। जो देखते ही देखते बुरी तरह फैल गई। जिसके चलते धुंए के गुबार उठने लगे। कुछ ही देर में आसपास के आबादी क्षेत्रों में घना धुंआ छा गया। बायपास पर भी धुंए का असर दिखाई दिया। इस दौरान बायपास से गुजरने वाली टू एवं फोर व्हीलर गाड़ियों की गति धीमी पड़ गई थी। इस बारे में वार्ड क्रमांक 31 के संतोष यादव ने कहा कि जहरीले धुंए की वजह से सांस लेने में तकलीफ होती है। ऐसी स्थिति में बड़े-बुजुर्ग व बीमारियों से ग्रसित लोगों पर क्या गुजरती होगी ? शहरी सीमा के साथ-साथ आबादी क्षेत्र के लगातार विस्तार को दृष्टिगत रखते हुए इस समस्या के स्थायी की दरकार है, तब कहीं जाकर आसपास के करीब आधा दर्जन इलाकों में रहने वाले लोगों को निजात मिल सकेगा।
खिड़की-दरवाजे बंद करना जरूरी
स्थानीय रहवासियों ने कहा कि धुंआ फैलता देख या उसकी गंध महसूस करते ही खिड़की-दरवाजे बंद करना पड़ता है। ऐसा ना करने पर धुंआ घर के अंदर तक पहुंच जाता है। भोजन पकाना व खाना-पीना दुभर हो जाता है।
स्थिति यह कि सांस लेने में दिक्कत
वार्ड के सदानंद ने बताया कि धुंए की गंध के कारण घबराहट होने लगती है। खासकर बड़े-बुजुर्गो को सांस लेने में दिक्कतें होती हैं। उन्होंनें बताया कि बीती रात कई घंटो तक धुंआ छाया रहा। सुबह-सुबह वातावरण सामान्य हुआ।
इनका कहना…
कचरे में आग लगने के कारण खेत तक जाने में पसीना छूट जाता है। यहां दिनभर कचरा अलग उड़ता है, जो खेत में पहुंच जाता है। खेती-किसानी पर इसका विपरीत असर हो रहा है।
हेमंत पांडे स्थानीय किसान
यह समस्या दिनों दिन विकराल रूप लेने लगी है। ऐसे में शहरी सीमा में कचरा डंपिंग को विराम लगना चाहिये। क्योंकि आसपास आबादी क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है। शहरवासियों के हिर्तााि आवश्यक है।
नीरज कुमार डेयरी संचालक
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