सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को शिरोमणी अकाली दल के संरक्षक रहे प्रकाश सिंह बादल, जिनका दो दिन पहले निधन हो गया, और उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में निचली अदालत द्वारा जारी समन को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट द्वारा इस मामले में समन जारी किया जाना और कुछ नहीं कानूनी प्रक्रिया के दुरुपयोग का मामला है।
11 अप्रैल को सुरक्षित रख लिया था फैसला
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रवि की पीठ ने इससे पहले 11 अप्रैल को बादल और अकाली दल के वरिष्ठ नेता दलजीत सिंह चीमा की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने होशियारपुर की ट्रायल कोर्ट द्वारा जारी बादल और दलजीत सिंह चीमा के खिलाफ जारी समन को खारिज कर दिया है। बता दें कि ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ बादल और चीमा ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने याचिका दायर की थी लेकिन हाईकोर्ट ने भी ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। इसके बाद अगस्त 2021 में बादल और चीमा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जहां से अब उन्हें राहत मिल गई है।
क्या है पूरा मामला
सामाजिक कार्यकर्ता बलवंत सिंह खेरा ने प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर बादल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में बलवंत सिंह ने बादल पर धोखाधड़ी, बेईमानी और तथ्य छिपाने के आरोप लगाए थे। खेरा ने 2009 में की शिकायत में कहा था कि शिरोमणि अकाली दल के दो संविधान हैं। एक संविधान उन्होंने गुरुद्वारा इलेक्शन कमीशन में रजिस्ट्रेशन के दौरान जमा कराया था, ताकि पार्टी को गुरुद्वारों के प्रबंधन का अधिकार मिल सके। वहीं दूसरा संविधान चुनाव आयोग के पास जमा है, ताकि राजनीतिक पार्टी का दर्जा मिल सके।