ओंकारेश्वर। ओंकारेश्वर में आदिगुरु शंकराचार्य जयंती तपस्या गुफा एवं गोविंदेश्वर महादेव मंदिर पर मंगलवार को जयंती मनाई। कांची काम कोठी पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती महाराज के शिष्य भी गुफा में उपस्थित थे। गुफा को पुष्पमाला लाइटिंग से सजाया गया था।
पंडित दीक्षित पंडित दुबे ने अभिषेक पूजन कराया। ट्रस्टी जंग बहादुरसिंह व धर्मप्रेमी बंधुओं ने भी आरती पूजन में भाग लिया।
उल्लेखनीय है कि आदि गुरु शंकराचार्यजी करीब 14 सौ वर्ष पूर्व आठवीं सदी में केरल से चलकर बाल्यवस्था में ओंकारेश्वर नर्मदाजी के तट पर तपस्या में लीन गुरु गोविंद पाद आचार्यजी से दीक्षा लेने के लिए आए थे। उन्होंने 2 वर्ष यहां दीक्षा लेने के बाद पूरे भारत में सनातन धर्म की ध्वजा पताका लहराई। यदि शंकराचार्य नहीं होते तो आज सनातन धर्म भी नहीं होता ।
उन्होंने यहां कोटी तीर्थघाट पर नर्मदा अष्टक शिवाष्टक रुद्राष्टक आदि कई रचना भी करी भारत के चारों धाम में शंकराचार्य पीठों की स्थापना की। अखाड़े संतों साधुओं की सेना बनाई थी। जो आज भी परंपरागत रूप से धर्म की रक्षा करने का कार्य कर रहे हैं।
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