खंडवा। शिव पुराण में भगवान शिव का सर्वस्व है। इस लोक और परलोक में सुख की प्राप्ति के लिए आदरपूर्वक इसका श्रवण करना चाहिए। शिव पुराण धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थों को देने वाला है। सदा प्रेमपूर्वक इसे सुनना एवं पढऩा चाहिए। क्योंकि महादेव से बड़ा कोई देवता नकं, इतने सरल और सहज है कि इन्हें कोई भी प्रसन्न कर सकता है। ओम नम: शिवाय जपने मात्र से ही शिव प्रसन्न हो जाते है और अपने भक्तों के कष्ट दूर करते है। ऐसे सदा शिव की हम अमृतमयी कथा को श्रवण कर रहे है। यह उद्गार ग्राम दोंदवाड़ा में चल रही शिव महापुराण के द्वितीय दिवस की कथा में पूज्या भावना मार्कण्डेय दीदी ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि शिव पुराण की कथा सुनने से चित्त की शुद्धि एवं मन निर्मल हो जाता है। शुद्ध चित्त में ही भगवान शिव व पार्वती का वास होता है। वह शुद्धात्मा पुरुष सदाशिव के पद को प्राप्त होता है। इस कथा का श्रवण सभी मनुष्यों के लिए कल्याणकारी है। यह कथा भवबंधनरूपी रोग का नाश करने वाली है। भगवान शिव की कथा सुनकर हृदय में उसका मनन चिंतन करना चाहिए। इससे चित्त की शुद्धि होती है। चित्तशुद्धि होने से ज्ञान और वैराग्य के साथ हमारे अंदर शिव की भक्ति निश्चय ही प्रकट होती है तथा उनके अनुग्रह से दिव्य मुक्ति प्राप्त होती है। जो मनुष्य माया के प्रति आसक्त है, वह इस संसार बंधन से मुक्त नहीं हो पाता।
दीदी ने कहा कि जो मनुष्य हमेशा भगवान शिव का ध्यान करते हैं, जिनकी वाणी शिव के गुणों की स्तुति करती है और जिनके दोनों कान उनकी कथा सुनते हैं, उनका जीवन सफल हो जाता है, वे संसार सागर से पार हो जाते हैं। ऐसे लोग इहलोक और परलोक में सदा सुखी रहते हैं। भगवान शिव के सच्चिदानंदमय स्वरूप का स्पर्श पाकर ही समस्त प्रकार के कष्टों का निवारण हो जाता है। उनकी महिमा जगत के बाहर और भीतर दोनों जगह विद्यमान रहती है। शिवमहापुराण कथा सुनने बड़ी संख्या में ग्रामवासी पहुंच रहे हैं।
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