खण्डवा। भगवान के मन से पहला पुरुष बना, शरीर महत्वपूर्ण नहीं मन महत्वपूर्ण है। हमारी सनातन परंपरा में तीन तरह की सृष्टि है। किसी भी देवी देवताओं की पूजा करो पूजा के लिए जो संकल्प लिया जाता है उसमें तीन बार विष्णु बोला जाता है। विष्णु भगवान संकल्प की सृष्टि खड़ी करते है। ब्रह्मा मानसिक सृष्टि खड़ी करते है। मनु व शत्रुता से मिलकर ओरस सृष्टि खड़ी है। भगवान का मिलना सरल है परंतु जीवन में भक्ति का मिलना कठिन है। जिनको जीवन में सतोगुण चाहिए वो गौमाता का आश्रय ले।
उक्त विचार पंडित श्यामस्वरूप मनावत ने रविवार को सरस्वती शिशु विद्या मंदिर कल्याणगंज खण्डवा विद्यालय में चल रही पांच दिवसीय समर्थ शिशु श्री रामकथा में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भूख व सत्ता का भय सत्य से विचलित कर देता है। वैकुंठवासी श्री हरि ही भगवान है। यह सत्य भली भांति जानते हुए भी शंकराचार्य जी ने प्रह्लाद को यह पढ़ाने का प्रयत्न किया कि महाराज हिरण्यकश्यप भगवान है। अर्थ का मोह नहीं छोड़ पाए और सत्य के लिए सत्ता से द्रोह नहीं कर पाए तो प्रह्लाद को गलत पढ़ाने का प्रयत्न किया। इसलिये शिक्षा को निस्वार्थ होकर निर्भीक होकर और निष्पक्ष होकर ही अपना कार्य करना चाहिए।
संस्था के तनीश गुप्ता ने बताया कि इस अवसर पर खण्डवा विभाग स.शि.म.के विभाग समन्वयक सत्यनारायण लववंशी राजेन्द्र अग्रवाल, आशुतोष बंसल, तिलोक तिरोले, ब्रह्मानंद पाराशर, सत्यनारायण शर्मा, सेवादास पटेल, भानु भाई पटेल, रविन्द्र बंसल, ओम दशोरे, धर्मेंद्र दांगोड़े, रविन्द्र चांडक, भूपेंद्रसिंह चौहान, योगिता माहेश्वरी, संस्था प्राचार्या शोभा तोमर, प्रधानाचार्य दिलीप सपकाले, जितेंद्र महाजन, प्रदीप कानूगो, वासुदेव पंवार, देवेंद्र जोशी, राधेश्याम चौहान, अरुण खले सहित विद्यालय परिवार ने कथा श्रवण किया।
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