अनोखा तीर, खंडवा। चार वर्ष की बालिका के साथ बलात्कार करने वाले आरोपी को पॉक्सो एक्ट विशेष न्यायालय की न्यायाधीश ने मृत्युदण्ड से दंडित किया है। आरोपी ने बालिका के साथ बलात्कार के बाद गला घोटकर हत्या करने का भी प्रयास किया था। करीब छह माह के भीतर ही मामले की पूरी सुनवाई हो गई। विशेष न्यायालय प्राची पटेल द्वारा आरोपी राजकुमार उर्फ राजाराम पिता गंगाराम, 20 वर्ष निवासी खालवा को धारा 6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के तहत मृत्यु दंड से दण्डित किया गया एवं धारा 363, 450, 201 भादवि में 107-07 वर्ष के कठोर कारावास व धारा 307 भादवि में आजीवन कारावास एवं 2-2 हजार रुपए अर्थदण्ड कुल 8 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया। न्यायाधीश ने कहा आरोपी को गर्दन में फांसी लगाकर तब तक लटकाया जाए जब तक की उसका प्राणांत न हो।
यह है घटनाक्रम
अभियोजन मीडिया सेल प्रभारी जाहिद खान ने बताया कि मासूम अपनी बुआ की बेटी के साथ दीपावली पर जसवाड़ी रोड पर राजपूत ढाबे के पीछे खेत में रह रहे रिश्तेदार के यहां आई थी। 30 अक्टूबर रविवार रात में आरोपी राजकुमार बालिका को घर के अंदर से उठाकर गन्ने के खेत में ले गया था। यहां उसने बालिका के साथ दुष्कर्म किया। इसके बाद हत्या करने की नीयत से बालिका का गला दबा दिया। बालिका बेहोश हो गई थी। राजकुमार उसे मृत समझकर करीब एक किमी दूूर आम के बगीचे में फेंक आया था। 31 अक्टूबर को सुबह जब परिवार के लोगों की नींद खुली तो बालिका नहीं थी। इसके बाद उसकी तलाश की गई। सूचना मिलने पर पुलिस अधिकारी बालिका की तलाश में लग गए। राजकुमार को पकड़कर पूछताछ करने पर उसने बालिका के बारे में बताया था। रात में आम के बगीचे में बालिका पड़ी मिली थी। इस मामले में कोतवाली थाने में प्रकरण दर्ज किया गया था।
आजीवन कारावास नहीं, मृत्युदंड आवश्यक
न्यायालय ने अपने निर्णय में उल्लेखित किया कि इस प्रकरण के तथ्यों पर विचार किया जाए तो चिकित्सकीय साक्ष्य व अन्य साक्ष्य से यह स्पष्ट है कि अपराधी द्वारा अनुसूचित जनजाति की सदस्य 4 वर्षीय अल्प आयु व असहाय बालिका पीड़िता के साथ जबरदस्ती मैथुन भी बर्बरतापूर्वक किया गया था। पीड़िता के शरीर के विभिन्न भागों पर चोंटे भी उक्त कृत्य करते समय कारित की थी और गला घोंटकर उसकी हत्या भी कारित की थी। आरोपी ने उक्त कार्य योजनाबद्ध रूप से निष्पादित किया। वह सर्वप्रथम अपने पूर्व परिचित अभियोक्त्री के परिजन के घर गया, खाट मांगी और तदापरांत सबके सोने का इंतजार किया और फिर अभियोक्त्री को उठाकर आम के बगीचे में ले गया और बलात्संग कर हत्या का प्रयास किया और साक्ष्य की विषय वस्तु अर्थात चार वर्षीय अबोध बालिका को मारकर कहीं ओर फेंक दिया। यह अभियोक्त्री की उत्कट इच्छा शक्ति एवं अदम्य जीजीविषा थी कि वह जीवित रही। अन्यथा आरोपी द्वारा अभियोक्त्री के हत्या के प्रयासों में कोई कमी नहीं थी। अत: उक्त विवेचनानुसार मात्र आजीवन कारावास का दंडादेश पर्याप्त नहीं हो सकता है और मृत्युदंड ही आवश्यक है। अभियोजन की ओर से मामले की पैरवी जिला लोक अभियोजन अधिकारी चन्द्रशेखर हुक्मलवार द्वारा की गई।
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