विडबंना…..
सब्जी उत्पादक कृषकों को आखिर क्यों नही मिलता वाजिफ दाम, वहीं दूसरी ओर ….
जिले में सब्जी की थोक व फुटकर मंडी के मध्य कीमतों की लंबी खाई को पाटने कभी कोई कारगर कदम नही उठायें गए। परिणाम स्वरूप मुख्य खरीददार यानि व्यापारी तथा बीच की कड़ी के हाथों सारी कमान रहती है। इसके पीछे अन्य कारण भी शामिल रहते हैं। परंतु यह भी सच है कि थोक व फुटकर मंडी में सब्जी की कीमतों को लेकर कोई खास तालमेल नही है। वहीं प्रशासन भी सुबह की पहर में चल रही तिकडबाजी से अनभिज्ञ प्रतीत हो रहा है। जिसका फायदा उठाने से संबंधित लोग जरा नही चूक रहे हैं। यह कहना तक गलत नही होगा कि नियमों को ताक पर रखकर चंद लोग खूब चांदी काट रहे हैं।
अनोखा तीर, हरदा। मुख्यालय स्थित सब्जी मंडी में सब्जियों के भाव थमे हुये हैं, वहीं दूसरी ओर फुटकर मंडी में उन्हीं सब्जियों का दाम दो से तीन गुना महंगा देखने को मिल जाएगा। थोक और फुटकर के मध्य इतना बड़ा अंतर किसान तथा उपभोक्ता दोनों के लिये नुकसानदायक साबित हो रहा है। खासकर लघु सीमांत किसान, जो अपने छोटे-छोटे रकबों में सब्जियां उगा रहा है। रूपाई से लेकर उसकी देखरेख निंदाई-गुढ़ाई एवं दवाओं के जरिये फसल का फूल-फल तक लेकर आते हैं। वहीं अंत में सबसे महंगा मजदूरों की मदद से उसकी तुड़ाई करके मंडी के लिये तैयार करना होता है। महिनों की मेहनत दौरान इन सब प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद सब्जी उत्पादक किसानों के हाथ केवल निराशा लग रही है। ऐसा भी नही कि मिर्ची, टमाटर, शिमला समेत अन्य सब्जियों के भाव नही बढ़ते है। समय-समय पर बढ़े हुये भाव का किसी-किसी किसान को लाभ मिलता है। लेकिन उस अल्प दौर के बाद थोक भाव को लेकर फिर वही कहानी सुनने को मिलती है। इन सब बातों को लेकर सब्जी की खेती-बाड़ी के अच्छे खासे जानकारों का कहना है कि ये सब मुख्य खरीददार यानि व्यापारी और बीच की अहम कड़ी का पूरा खेल है। गनीमत है कि इस क्षेत्र में शिक्षित किसानों की मौजूदगी तथा इंटरनेट का युग इन दो वजहों से सब्जियों की प्रमुख मंडियों पर किसान नजर जमायें रखते हैं। सब्जी के उतार-चढ़ाओं पर खास ध्यान रहता है। जानकार यह भी कहते हैं कि बीच की कड़ी क्यों इतना फल-फूल रही है? कमीशन प्रथा बंद होने के बावजूद पर्दे के पीछे लेन-देन का खेल जगजाहिर है। इन सब बिन्दूओं पर गौर करने की आवश्यकता है। साथ ही उन किसानों की जागरूकता सबसे अहम है, जो सब्जी के क्षेत्र में कदम रख चुके हैं या रखने वाले हैं। उन्हें सब्जी उत्पादन से लेकर उसके विक्रय, परिवहन समेत अन्य आवश्यक कार्यो के लिए बनाएं गए नियम तथा तय मापदंडों की जानकारी होना चाहिये। इतना ही नही, जरूरत महसूस होने पर यहां प्रशासन का सहयोग शीर्ष पर रहना जरूरी है। उल्लेखनीय है कि जिले में सब्जी उत्पादक किसानों की संख्या साल दर साल बढ़ रही है। यहां हरी मिर्च और टमाटर के अलावा शिमला मिर्च, पीली मिर्च, फूलगोबी, पत्तागोबी, भिंडी और तरबूज की खेती में किसानों की रूचि है।
गारंटी के नीचे दबा वाजिफ दाम
पड़ताल करने पर मालूम हुआ कि सब्जी विक्रय करने के बाद उसके भुगतान की पुख्ता गारंटी को लेकर वाजिफ दाम की आवाज बुलंद नही हो पाती है। यही कारण है कि कमीशन प्रथा बंद होने के बावजूद किसानों से पर्दे के पीछे ये काम बदस्तूर चल रहा है। सब्जी की खरीदी व उसके भुगतान के चलते आधी से ज्यादा डोर दूसरों के हाथ रहती है।
व्यापारियों को मिले सभी सुविधाएं
इस बारे में किसानों ने कहा कि स्थानीय तथा बाहर से आने वाले व्यापारियों को प्रशासन की तरफ से आवश्यक संरक्षण मिलें तो सारा सिस्टम पटरी पर दिखाई देने लगे। उसे पहले व्यापारियों को सूचीबद्ध तथा खरीदी लिमिट अनुरूप सिक्यूरिटी का इंतजाम सुनिश्चित किया जाना चाहिए, ताकि किसी अप्रिय समय दौरान भी तुरंत भुगतान हो सके।
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