धार्मिक माह का सबसे बड़ा पर्व…. आज वैशाख की अमावस्या! यहां सूर्य ग्रहण का नही रहेगा प्रभाव  

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अनोखा तीर, हरदा। धार्मिक कारज तथा भगवान शिव की विशेष आराधना को लेकर साल के पूरे बारह माह में वैशाख का महिना सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। पवित्र वैशाख माह में गुरूवार को अमावस्या का बड़ा पर्व है। वहीं इन सबके बीच अमावस्या के दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण को लेकर लोगों में संशय बना हुआ है। हालांकि पंडितों ने उनका संशय दूर करते हुये वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण का यहां प्रभाव होने से इंकार किया है। कहा कि यहां ग्रहण का सूतक नही माना जाएगा। इस दिन मठ-मंदिर समेत अन्य धार्मिक स्थलों पर पूजा-पाठ व अनुष्ठान जारी रहेंगे। पंडित मुरलीधर व्यास ने बताया कि वैशाख माह की अमावस्या तिथि को सूर्य ग्रहण की चर्चा है। परंतु हरदा समेत संपूर्ण प्रदेश में इसका कोई प्रभाव नही रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहण का विशेष महत्व होता है। ज्योतिष गणना के मुताबिक साल 2023 का पहला ग्रहण जहां भी प्रभावशील रहेगा, वहां बेहद खास होगा। इधर, प्राप्त जानकारी के अनुसार 20 अप्रैल को लगने वाला ग्रहण कंकणाकृति सूर्य ग्रहण कहलाएगा। खगोल विज्ञान के मुताबिक कंकणाकृति सूर्य ग्रहण एक तरह का मिला जुला ग्रहण होता है। जिसमें ग्रहण एक कुंडलाकार सूर्य ग्रहण के रूप में शुरू होकर धीरे-धीरे पूर्ण सूर्य ग्रहण में बदल जाता है। जो फिर वापस आकर कुंडलाकार सूर्य ग्रहण में बदल जाता है। इसके पहले इस तरह का कंकणाकृति सूर्य ग्रहण 10 साल पहले वर्ष 2013 में देखने को मिला था।

फिर भी समझें समयकाल

गुरुवार, 20 अप्रैल 2023 को साल का पहला सूर्य ग्रहण की चर्चा है। भारतीय समय के अनुसार यह ग्रहण प्रात: 7 बजकर 4 मिनट से प्रारंभ होकर दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक चलेगा। इस सूर्य ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे 24 मिनट बताई जा रही है। सूर्य ग्रहण का पालन केवल उन्हीं जगहों पर होगा, जहां ग्रहण का प्रभाव रहेगा। यहां जरा प्रभाव नही होने का संकेत है।

  मेष राशि पर अत्यधिक प्रभाव

पंडितों के मुताबिक वैशाख माह की अमावस्या तिथि पर लगने वाले सूर्य ग्रहण दौरान सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में रहेंगे। राहु और चंद्रमा अश्विनी नक्षत्र में स्थित होंगे। साथ ही इस पर शनि की पूर्ण दृष्टि भी रहेगी। अगर देवगुरू बृहस्पति की बात करेंं तो सूर्य से द्वादश भाव में होंगे। सूर्य के मेष राशि में प्रभाव ज्यादा रहता है।

यहां सूतककाल मान्य नहीं  

साल 2023 का यह पहला सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। जिसके चलते इसका सूतककाल मान्य नहीं होगा। शास्त्रों के अनुसार जहां-जहां पर ग्रहण का असर होता है, वहां पर सूतक काल प्रभावी माना जाता है। शास्त्र के अनुसार सूतक काल ग्रहण लगने के 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है, वहीं ग्रहण खत्म होने तक रहता है।

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