अनोखा तीर, हरदा। पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर कर्मचारी सड़क पर उतरने को मजबूर हो गये हैं। पहले आवेदन-निवेदन तथा ज्ञापन सौंपें गये। इतना ही नही, शासन के समक्ष अपनी बात पहुंचाने कई जतन भी कर चुके हैं। हालांकि शासकीय कर्मचारियों की ज्वंलत मांगो का समाधान नही हुआ है। जिसके चलते एक बार फिर मुख्यालय पर रविवार को नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के बैनर तले पेंशन संवैधानिक मार्च निकाला गया। पेंशन संवैधानिक मार्च में सैकड़ों कर्मचारियों की मौजूदगी रही। इस दौरान कलेक्ट्रेट के मुख्यद्वार पर पुरानी पेंशन के समर्थन में जमकर नारे लगाये गयें। वहीं संयुक्त कलेक्टर डीके सिंह को संगठन की प्रमुख मांगों का एक ज्ञापन सौंपा। इस मौके पर पेंशन विहीन अधिकारी-कर्मचारियों के परिवारजन भी संवैधानिक मार्च का हिस्सा बने। ऐसा पहली बार हुआ जब शासकीय अधिकारी-कर्मचारियों के साथ उनके परिवार के सदस्य आंदोलन में शरीक हुये हैं। इस अवसर पर परिवारजनों ने अपनी हुंकार भी भरी। कहा कि परिवार के मुखिया का सेवाकाल खत्म होते ही परिवार में आर्थिक समस्याएं बढ़ेगी। पहले विश्वास था कि सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित है। परंतु बीतें कुछ साल पहले पुरानी पेंशन को बंद करने का निर्णय ले लिया गया। जिसके चलते कर्मचारियों की वृद्धावस्था सभी से अधंकारमय प्रतीत होने लगी है। जानकारी के अनुसार नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के अध्यक्ष रामकृष्णा गोस्वामी ने बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार के निर्देश तथा प्रदेशाध्यक्ष परमानंद डेहरिया के नेतृत्व में सभी जिला मुख्यालयों पर पेंशन संवैधानिक मार्च निकाला गया। इसी क्रम में हरदा जिला मुख्यालय पर भी यह प्रदर्शन किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में पेंशन विहीन शिक्षक समेत अन्य अधिकारी- कर्मचारी सम्मिलित रहे। ज्ञात हो कि केन्द्र सरकार ने वर्ष 2004 से केन्द्रीय तथा वर्ष 2005 सेे प्रदेश के शिक्षक सहित अन्य अधिकारी-कर्मचारियों की पेंशन बंद कर नेशनल पेंशन स्कीम लागू की है। जिसमें विरोध में संगठन लंबे समय से अपने हक-अधिकार की आवाज उठा रहा है। परंतु प्रदेश सरकार इस दिशा में कोई कदम नही उठा रही है। जिसके चलते कर्मचारियों में निराशा का भाव है। यही हाल रहा तो भविष्य में शिक्षक समेत अन्य शासकीय सेवकों के परिवारों के समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न होने लगेगा। श्री गोस्वामी ने इस बात का विशेष रूप से जिक्र किया कि कर्मचारियों के हितार्थ राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश तथा पंजाब की राज्य सरकारों ने पुरानी पेंशन को बहाल किया है। वहां का कर्मचारी सरकार के कर्मचारी हितैषी भाव के कारण अपना हक-अधिकार पाने में सफल हुये हैं। इसी तरह मध्यप्रदेश में कर्मचारियों के हितार्थ फैसला लेने की आवश्यकता है। इसको लेकर शिक्षक तथा अधिकारी-कर्मचारियों ने सर्वसम्मति से अनिश्चितकालीन शासकीय कार्यालय बंद करनें का प्रस्ताव पारित किया। जिसके तहत पेंशन विहीन अधिकारी-कर्मचारी शासन को अवगत कराने के साथ ही कार्यालयों को बंद करेंगे।
इनकी रही उपस्थिति
ज्ञापन एवं पेंशन संवैधानिक मार्च में लिपिक संघ के अध्या संतोष शुक्ला, अतुल शुक्ला जिलाध्यक्ष राज्य कर्मचारी संघ, अशोक सोनी जिलाध्यक्ष वाहन चालक संघ, गोंविद सूचिक जिलाध्यक्ष लघुवेतन कर्मचारी संघ, मजीद खान जिलाध्यक्ष शासकीय शिक्षक संघ, पीयूष राठौर जिलाध्यक्ष पुरानी पेंशन बहाली संघ, संतोष दुबे जिलाध्यक्ष स्वास्थ्य विभाग, रामकृष्ण गौर , सुभाष भाटी, छाया राठौर, सरला बाँके, संचिता व्यास, स्मिता मोरछले, फरजाना खान, सीमा रघुवंशी, शिवनारायण भाटी, आलोक बिल्लौरे, प्रकाश शर्मा, शिव काशिव, महेश नागराज, गजानंद मालवीय, मुकेश शर्मा, महेश नागराज, रेखा चौबे, सुषमा राठौर, नारायण मातवा, सुभाष चौहान, चन्द्रगोपाल बाँके, रमेश कुशवाहा, प्रिया राजवैद्य, नेमी विश्नाई सहित सैकड़ों कर्मचारी मौजूद रहे।
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