नियुक्ति हुई है जंगलों की सुरक्षा के लिए पर कर रहे हंै बाबूगिरी

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गणेश पांडे, भोपाल। जंगल महकमे में फारेस्ट गार्ड की नियुक्तियां वन्य प्राणी और वनों की सुरक्षा के लिए हुई है पर वे कार्यालयों में बाबूगिरी कर रहे हैं। इसके अलावा कई फॉरेस्ट गार्ड बड़े साहबों के बंगले और ऑफिसों में दरबान बने हुए हैं। यही वजह है कि अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक प्रशासन-दो हरिशंकर मोहन्ता को समस्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं समस्त एपीसीसीएफ के नाम पत्र लिखना पड़ रहा है कि कोई भी बन रक्षक वनपाल किसी भी स्तर के कार्यालय में कार्यालय कार्य नहीं करेंगे। इनकी पदस्थिति बीटों, जांच नाको, उड़नदस्ते इत्यादि वन सुरक्षा से जुड़े कार्य में लगाई जाए। मोहंता के पत्र पर बड़े साहब लोग कोई तरजीह नहीं दे रहे हैं। वन विभाग में वन और वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए 25000 के लगभग अमला स्वीकृत है। इनमें से 1900 खाली पड़े हैं। स्वीकृति अमले से 8 प्रतिशत फॉरेस्ट गार्ड डीएफओ और पीएफ कार्यालय बाबू गिरी का काम कर रहे हैं तो 4 प्रतिशत फॉरेस्ट गार्ड रसूखदार प्रधान मुख्य वन संरक्षक स्तर के अफसरों के कार्यालयों और उनके बंगले पर दरबान दरबान बने हुए हैं। यह स्थिति भोपाल से लेकर 16 सर्किल और 65 वन मंडलों में बनी हुई है। भोपाल सर्किल के एक डीएफओ का कहना यह है कि कार्यालयों में बाबू के पद खाली पड़े हैं, इसकी वजह से कार्यालयीन कार्यों के लिए फॉरेस्ट गार्ड के जरिए काम कराया जा रहा है। दरअसल, कार्यालयों के लिए 87 बाबुओं के पद रिक्त हैं। वर्ष 2016-17 से बाबू के रिक्त पदों पर भर्ती नहीं हुई है। केवल अनुकंपा नियुक्तियां हो रही है। चिंताजनक पहलू यह है कि सभी कार्यालयों में अकाउंटेंट के पद खाली पड़े हैं। कंप्यूटर ऑपरेटर से अकाउंटेंट का काम कराया जा रहा है। यह कंप्यूटर ऑपरेटर सीएफ जॉब दर पर काम कर रहे हैं। इसके कारण कई महत्वपूर्ण दस्तावेज लीक होने का भय बना रहता है।

बंगले और ऑफिस में दरबान बनाना नियम के विपरीत

पूर्व से ही सुप्रीम कोर्ट के ऐसे निर्देश हैं कि वनरक्षकों से जंगलों की सुरक्षा के सिवा दीगर काम ना कराए जाएं। इसी कारण वन रक्षकों की ड्यूटी को जनगणना और अन्य कार्यों के लिए नहीं लगाई जाती है, जबकि मप्र में अतिक्रमण, अवैध कटाई, अवैध खनन एवं परिवहन और अवैध शिकार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। प्रदेश के हर वन मंडलों में कई दर्जन वन रक्षकों के पद रिक्त पड़े हैं। बावजूद इसके, वनरक्षक बड़े साहबों के दरबान बनने में अपने-आप को भाग्यशाली मानते आ रहे हैं। इसके कारण उन्हें जंगलों में नहीं जाना पड़ रहा है।

आरक्षित पदों के लिए भर्तियां शुरू

1772 वनरक्षकों के आरक्षित पदों के लिए भर्ती की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस भर्ती प्रक्रिया में बैगा, सहरिया, भारिया और भील-भिलाला वर्ग से भरा जा रहा है। एचएस मोहंता एपीसीसीएफ प्रशासन-दो ने बताया कि ये भर्तियां जुलाई-अगस्त तक करा लिए जाने की संभावना व्यक्त की है। मोहन्ता बताते हैं कि बाबूओं की भी भर्ती करने के लिए शासन से अनुमति मांगी है। आरक्षण का मामला न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण यह नियुक्तियां नहीं हो पा रही है।

कम्प्यूटर ऑपरेटर का कैडर नहीं

डिजिटल युग में कंप्यूटर ऑपरेटरों की उपयोगिता बढ़ गई है। टीपी जारी करने का ऑनलाइन सिस्टम डेव्हलप हो गया है। ऑनलाइन नीलामी होने लगी है। यानी ऑफिसों में ज्यादातर काम पेपर लेस होते जा रहे हैं। जबकि विभाग में अभी तक कंप्यूटर ऑपरेटर का कोई कैडर नहीं बनाया गया है। उन्हें अस्थाई तौर पर वन संरक्षक जॉब दर 10000 से 15000 के बीच रखा जाता है। एक सीनियर अधिकारी का कहना है कि अस्थाई कंप्यूटर ऑपरेटर के पद होने की वजह से विभाग के महत्वपूर्ण दस्तावेज लीक होने की संभावना बनी रहती है। इसलिए केडर बनाना नितांत आवश्यक बन गया है।

 इनका कहना है…

 मैंने वनरक्षक एवं वनपाल से कार्यालयीन कार्य नहीं कराने के लिए पत्र लिखा है। बड़ी संख्या में बीटों में वन रक्षकों के पद खाली पड़े हैं। जानकारी मिली है कि वनपाल अथवा वनरक्षक कार्यालय में बाबू का काम कर रहे हैं। इसलिए पत्र लिखना पड़ा। 2000 पदों पर वन रक्षकों की भर्ती हो जाने के बाद कोई भी पद रिक्त नहीं रहेंगे, ऐसी समस्याएं नहीं आएगी।

हरिशंकर मोहन्ता

अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक प्रशासन-दो

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