अनोखा तीर, ओंकारेश्वर। तीर्थस्थल में गुजरात व महाराष्ट्र के पंद्रह लोग नर्मदा की तेज धार में फंस गए। बिजली बनाने के लिए पानी नर्मदा में छोड़ा जाता है। बाहरी लोग होने के कारण सायरन बजने का इशारा समझ नहीं पाए। चट्टानों पर खड़े लोग बहती तेज धार में फंस गए। नाविकों ने उन्हें बचा लिया। ऐसा नहीं होता तो पचासों लोगों की जान जा सकती थी। करीब 40 लोग अन्य भी फंस गए थे। इसे बिजली कारखाने की लापरवाही भी कहा जा सकता है। मामला गंभीर है। ऐसा हमेशा होता है। एनएचडीसी और जिला प्रशासन कब चेतेगा या उन्हें दर्जनों मौतों का इंतजार है? घटना फाइल हो जाएगी। इसे गंभीरता से लेना चाहिए। बिजली बनाने से पहले पानी छोड़ने के लिए सायरन बजाया जाता है। घाटों पर लोग खड़े नहीं किए जाते। बाहर से 90 प्रतिशत लोग आते हैं। वेे सायरन का क्या अर्थ समझते हैं?
सायरन एलर्ट बाहर वाले क्या जानें?
रविवार अवकाश होने के कारण ओंकारेश्वर में श्रद्धालुओं की संख्या अधिक होती है। घटना के पहले घाटों से पानी काफी दूर था। कुछ यात्री नहाने के लिए पानी ढूंढ़ते हुए बीच नर्मदा में चट्टानों पर पहुंच गए। इसी बीच ओंकारेश्वर बाँध से अचानक पानी छोड़ दिया। जलस्तर तेजी से बढ़ने लगा। चट्टानों पर नर्मदा स्नान कर रहे 15 से 20 लोग फंस गए।
चट्टानों पर खड़े तेज बहाव में आ गए
तेज बहाव के बीच चट्टानों पर फंसे लोगों को स्थानीय नाविकों ने नाव एवं रस्से तथा लाइफ जैकेट की सहायता से सभी यात्रियों को सकुशल किनारे पर लाकर छोड़ा। गनीमत रही कि कोई जनहानी नहीं हुई। समय रहते अगर नाविक नर्मदा के बीच फंसे लोगों के पास नहीं पहुंचते तो एक बड़ा हादसा हो सकता था।
लगा, जैसे मौत सामने खड़ी है
बड़ौदरा से अपने दोस्तों के साथ आए श्रद्धालु ने बताया कि घाट पर पानी कम था। हम सभी लोग चट्टानों पर नहाने के लिए चले गए। हम लोगों को कुछ पता नहीं था। अचानक से पानी का बहाव तेज हुआ। हम जहां थे वही खड़े रहे। थोडा सा इंतजार किया। हमें कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। पानी का बहाव कम होने के बजाय ओर भी तेज होता गया। और फिर हम लोगों को दिखा कि अब हमारे सामने मौत है। हम कुछ भी नहीं कर पा रहे थे। नाविकों ने हमें बचाया।
हम पांच नाविक नहीं होते तो….?
ओंकार घाट के प्रकाश केवट ने बताया कि हम सभी ओंकार घाट पर बैठे थे। लोगों का हल्ला सुनने में आया देखा तो नर्मदा के बीचों बीच दो अलग-अलग चट्टानों पर खड़े लोग मदद के लिए चिल्ला रहे थे। हम तुरंत नाव लेकर लोगों के पास पंहुचे। सभी को अपनी नाव में बैठाकर किनारे लाकर छोड़ दिया। विनोद केवट ने कहा हम पांच नाविक नहीं होते तो जाने क्या होता? जैकेट और रस्से की मदद से 30 से 40 लोगों को बड़ी मेहनत करके पानी से बाहर निकालकर लाए।
प्रशासन की लापरवाही
पुनासा एसडीएम चंदरसिंह सोलंकी ने सफाई दी कि ओंकारेश्वर बाँध की टरबाईने रेगुलर चलाई जा रही थी। बाँध के निचले क्षेत्र में सायरन बजाकर अलर्ट किया जाता है। सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन के पास बाहरी श्रद्धालुओं को रोकने के लिए लोग नहीं हैं? सायरन का अर्थ वे क्या समझते हैं? एनएचडीसी व प्रशासन की यह बड़ी लापरवाही है। दोषियों को दंड मिलना चाहिए? मौतों से घटना का वजन नहीं तौलना चाहिए। कलेक्टर को यह बात समझदारी से आंकना चाहिए।
नाविकों की प्रशंसा
बलजीत सिंह बिसेन थाना प्रभारी मांधाता ने बताया कि चट्टानों पर श्रद्धालु पहले से नहाने के लिए गए थे। पानी बढ़ने की वजह से वे लोग बाहर नहीं निकल पा रहे थे। नाविकों ने बड़ी सावधानी एवं बड़ी तत्परता से सभी श्रद्धालुओं को बचाया है।
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