नेता या ओहदेदार लोग ही नहीं पुलिस भी काला शीशा लगाकर घूम रही अपनी कार में
अनोखा तीर हरदा। नगर की यातायात व्यवस्था लचर है। जिसके कारण लोग मनमानी कर रहे हैं। हाल ये है कि खुलेआम अपनी गाड़ी में काला शीशा लगा कर बेखौफ घूम रहे हैं, लेकिन इस मामले में प्रशासन गंभीर नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने काले शीशे पर प्रतिबंध लगाया है। बावजूद इसके हरदा की सड़कों पर काला शीशा लगे सैकड़ों वाहन दौड़ रहे हैं। केवल नेता या ओहदेदार लोग ही नहीं कानून की रक्षक कहे जाने वाली पुलिस भी नियम तोड़ रही है। नगर के कई पुलिस वाले अपने लग्जरी चारपहिया वाहन में काली फिल्म लगाकर घूमते कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं, लेकिन इनको टोकने वाला कोई नहीं है। अगर आम आदमी ऐसे करते तो पुलिस उनके पीछे पड़ जाती। लेकिन पुलिस वाले ही नियम तोड़ रहे हैं, तब उन पर विभाग के अफसर मूकदर्शक बनकर बैठे है। सुप्रीम कोर्ट ने अपराध रोकने काली फिल्म वाले वाहनों पर प्रतिबंध लगा रखा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने अभियान चलाकर गाडिय़ों की चालानी कर काला फिल्म निकाला गया था, लेकिन नगर में सैकड़ों चारपहिया वाहन मालिक काली फिल्म व सायरन लगाकर बेखौफ होकर घूमते कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
कार के शीशे में काली फिल्म लगाना गैरकानूनी
पुलिस केवल चौक चौराहो पर बिना हेल्मेट, तीन सवारी व बिना लाइसेंस को लेकर कार्रवाई करती है। वहीं नगर के पुलिसकर्मी अपनी चारपहिया वाहन में काली फिल्म लगाकर नगर व जिले के बाहर आना. जाना करते हैं, लेकिन इसे रोकटोक करने वाला कोई नहीं है। कार के शीशे में काली फिल्म लगाई जाती है। यह पूरी तरह गैर कानूनी है। काली फिल्म वाले वाहनों पर सवार अपराधी अपराध को अंजाम देकर फरार हो जाते हैं। कई बार ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन प्रशासन ठोस कार्रवाई नहीं करता। इसके कारण शहर में काली शीशे वाले व्यावसायिक और निजी वाहन बेधड़क चलते दिखते हैं। जबकि सायरन कानून-व्यवस्था से जुड़े अधिकृत वाहनों पर ही लगाए जा सकते हैं। निजी वाहनों पर इन्हें कोई भी नहीं लगा सकता।
पहचान छिपाने के लिए ऐसे वाहनों का उपयोग
काला शीशा लगे वाहन के अंदर कौन है, अपराधी हैं या वीआईपी, इसका पता न तो पुलिस को चल पाता है न लोगों को। काला शीशा लगे वाहनों का उपयोग अक्सर आपराधिक गतिविधियों के लिए होता आया है। कारों से हत्या और अपहरण की वारदातों को अंजाम दिया जा सकता है। आपराधिक चरित्र वाले लोग अपनी पहचान छिपाने के लिए ऐसे वाहनों का उपयोग करते हैं। देश में चाहपहिया वाहनों में हो रहे अपराध को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने काली फिल्म लगाने पर पाबंदी लगाई है। वाहन में काली फिल्म लगने से अंदर कौन बैठा है उसे पुलिस को भी पता नहीं चल पाता।
यह हैं प्रमुख नियम
केंद्रीय मोटर वाहन नियमावली 1989 के नियम 100 के तहत वाहनों की खिड़कियों के शीशे काले या रंगीन नहीं होने चाहिए।
-नियम के अनुसार वाहनों की खिड़कियों के साइड विंडो शीशा कम से कम 50 प्रतिशत और सामने और पीछे का शीशा 70 प्रतिशत पारदर्शी होना चाहिए।
-केंद्रीय मोटरवाहन नियमावली 1989 के नियम के तहत वाहनों में लगे काले शीशे को हटाने का प्रावधान है।
-मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 177 और 179 के तहत काला शीशा लगाने वाले वाहन मालिकों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान है।
-जिन गाडिय़ों पर मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी ने तय लिमिट के अनुसार काले शीशे लगा रखे हैं, उन गाडिय़ों पर पाबंदी नहीं है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि उन गाडिय़ों पर पाबंदी लगाई जाए जिन्होंने अलग से ब्लैक फिल्म लगा रखी हैं। अलग से लगाई गई ब्लैक फिल्म भले ही तय लिमिट के हो, लेकिन वे भी गैर कानूनी माने जाएंगे।
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