अनोखा तीर, हरदा। लंबा संघर्ष करने के बाद 80 हजार अध्यापक नवीन संवर्ग में शिक्षक तो बन गए परंतु उनकी क्रमोन्नति की नोट शीट वरिष्ठ कार्यालय में आज भी झूल रही है। इस कारण निश्चित समय अंतराल में इन्हें मिलने वाले क्रमोन्नत वेतन का लाभ नहीं मिल पाया है। जानकारी के अनुसार सामान्य प्रशासन विभाग के नियमानुसार किसी भी कर्मचारी को नियोक्ता नियुक्ति देने वाला अधिकारी ही क्रमोन्नति या समयमान वेतन का लाभ दे सकता है। यह व्यवस्था सभी शासकीय विभागों में लागू है। मगर वर्ष 2014 में कानूनी झंझटों से बचने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने अपने अधिकार कनिष्ठ अधिकारियों को सौंप दिए। इस कारण अब यही निर्णय शिक्षकों को भारी पड़ रहा है। यही वजह है कि उनकी क्रमोन्नति संबंधी फाईल विभाग के उच्च कार्यालय और मंत्रालय के बीच झूल रही है।
वित्त विभाग की अनुशंसा का इंतजार
शिक्षको को क्रमोन्नति देने की फाईल शिक्षा, सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों के बीच ही घूमती रही है। वर्षों बाद अधिकारियों को यह समझ आया कि इन शिक्षकों को क्रमोन्नति नहीं तो समयमान वेतन का लाभ मिले। मई 2022 में लोक शिक्षण मंत्रालय में एक प्रस्ताव रखा गया। यह प्रस्ताव भी करीब 1 महीने से मंत्रालय में घूम रहा है। बताते है कि अभी भी विभाग की अनुशंसा का इंतजार है। फिर इसे मान्य कर सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा जाएगा।
ढाई लाख हैं दावेदार
प्रदेश में दो लाख 87 हजार अध्यापक से शिक्षक 2006 में नियुक्त हुए थे। उनकी 12 साल की सेवा वर्ष 2018 में पूरी हो गई। वे इसके बाद समयमान वेतन के लिए मांग कर रहे हैं। पर सरकार निर्णय नहीं ले पा रही है। इनकी नोटशीट 3 साल में करीब 4 बार सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों के हाथों से गुजरी। पर 2022 में विभाग के एक अधिकारी ने पकड़ा कि प्रस्ताव ही गलत है। आज शिक्षक विभाग के इस रवैये से नाराज हैं क्योंकि इससे उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा है।
12, 24 और 30 साल में क्रमोन्नति
वर्तमान अधिकारी भी चाहते है कि वर्ष 2014 को ही व्यवस्था लागू रहे किंतु शासन इसके लिए नीति बनाने को तैयार नहीं है। इसी मुद्दे पर एक सहमति बनाने के लिए तीन साल से नोटशीट चल रही है। उल्लेखनीय है कि इन शिक्षकों को 12, 24 और 30 साल का क्रमोन्नत या समयमान वेतन का लाभ मिलना चाहिए। वर्ष 2006 में नियुक्त सभी शिक्षक वर्ष 2018 में पहली क्रमोन्नति के पात्र हो चुके हैं। इसी प्रकार अन्यों को भी लाभ मिलना चाहिए। मगर 2014 का ऐसा पेंच सामने आया कि ऐसे सभी शिक्षकों की क्रमोन्नति या समयमान वेतन की नीति खटाई में पड़ गई है।
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