माता की बाड़ी के पट खुलते ही दर्शन को उमड़े श्रद्धालु

schol-ad-1

खंडवा। माता के स्थापित जवारों को एक सप्ताह तक सींचने के बाद शुक्रवार को जैसे ही बाड़ी के पट खुले श्रद्धालु गौर माता के दर्शनों के लिए उमड़ पड़े। किसी ने मां को साड़ी व चुनर ओढ़ाई तो किसी ने सदा सुहागिन रहने के लिए माता को सुहाग की सारी सामग्री चढ़ाकर उनका सोलह श्रृंगार किया। वहीं कुंवारी कन्याओं ने अच्छे वर की कामना कर माता का पूजन किया।

गणगौर पर्व को लेकर पूरे जिलेभर में आस्था व उल्लास का माहौल है। दिन में अरग आरती व रात में गणगौर गीतों की गूंज से पूरा निमाड़ सराबोर है। शुक्रवार सुबह बाड़ी के पट खुलते ही श्रद्धा, भक्ति व आस्था की झलक देखने को मिली। तड़के से ही महिलाएं कतारबद्ध होकर माता के दर्शनों के लिए बाड़ी स्थलों पर जमा होने लगी। बाड़ी में बोए गौर माता रूपी जवारों के दर्शनों व पूजन का सिलसिला देर दोपहर तक जारी रहा। दर्शनों के बाद मुख्य बाड़ी में रखे जवारों को रथ बौड़ाने वाले तपती धूप में नंगे पैर बारी-बारी से गाजे बाजे के साथ अपने-अपने घर ले गए। जहां पर रथों का स्वागत सत्कार कर उन्हें शाम को उद्यानों व मैदानों पर ले जाया गया। गांव व शहर में स्थित मुख्य बाडिय़ों के पट सुबह से ही दर्शनार्थियों के लिए खोल दिए गए थे। बाड़ी के सेवाधारी जहां एक ओर महिलाओं व पुरुषों को कतारबद्ध कर जवारों के दर्शन करा रहे थे वहीं दूसरी ओर बाड़ी पर पहुंचे रथों के सत्कार में दूसरे सेवाधारी लगे थे।

कहीं आज तो कहीं कल होगा विसर्जन

गौर माता के रूप में बोऐ गए जवारों के विसर्जन का क्रम शनिवार से शुरू हो जाएगा। शनिवार शाम को शहरभर के रथवाले अपने-अपने रथ लेकर गांधी भवन पहुंचेंगे। जहां पर पूजन-आरती के बाद मानता वाले अपने रथों को ढ़ोल-ढ़माकों के साथ पुन: अपने घर पर ले जाएंगे और जो रथ मन्नत के नहीं होंगे उनमें रखे माता रूपी जवारे विसर्जन स्थल पर विसर्जित किए जाएंगे।

अखंड जोड़ों का होगा भोज

जिन स्थानों पर मन्नत के रथ रखे जाते हैं उनके द्वारा माता को भोग के रूप में भोजन का आयोजन किया जाता है। जिनमें नव दम्पत्तियों को मुख्य रूप से निमंत्रित कर भोजन कराया जाता है। पूरा का पूरा माहौल वैवाहिक आयोजन जैसा प्रतीत होता है। ऐसे आयोजन शहर के अलावा ग्रामीण अंचलों में भी धूमधाम से होंगे। कहारवाड़ी, दादाजी वार्ड सहित मुख्य बाड़ी स्थलों पर प्रमुख भंडारों का आयोजन किया जाएगा।

ओंकारेश्वर में आज होगा विसर्जन

ज्योतिर्लिंग तीर्थ नगरी ओमकारेश्वर में गणगौर माता के बाड़ी खुलते ही महिलाएं सज धज कर माता की पूजन सामग्री लेकर माता रुपी ज्वारों की पूजा करने पहुंची। पूजा के बाद भक्त लोग सिर पर माता के रथों को लेकर अपने-अपने घर से बाड़ी पहुंचे और जवारों को रथों में रखकर बैंड बाजों के साथ घर लाकर झालरिया गीत गाए।

रथों लेकर चल रहे भक्तों पर मार्ग में फूलों की वर्षा की गई। शीतल जल, शीतल पेय का वितरित किया गया। शिवपुरी में पंडित रामचंद्र परसाई, विष्णुपुरी में पंडित ललित दुबे एवं ब्रह्मपुरी में गणेश गिरी के यहां माता की बाड़ी बोई गई थी। रात्रि में गणगौर माता के भजनों से वातावरण गूंज उठा। शनिवार को माता जी को पवित्र नर्मदा जी के घाट पर ले जाकर पूजा अर्चन कर पानी पिलाया जाएगा और वहां से पुन: वापस बोड़ा कर मानता वाले भक्त एक स्थान पर माता जी की सेवा पूजा करेंगे जोड़े को भोजन कराया जाएगा वहीं भंडारा भी होगा। रात्रि में पवित्र नर्मदा जी में ज्वारे विसर्जित किए जाएंगे।

 

Views Today: 2

Total Views: 84

Leave a Reply

लेटेस्ट न्यूज़

MP Info लेटेस्ट न्यूज़

error: Content is protected !!