खंडवा। निमाड़ की राजनीति में खंडवा विधायक देवेंद्र वर्मा का कद तेजी से बढ़ रहा है। एक बार फिर देवेंद्र वर्मा को विधानसभा में सभापति की कुर्सी पर बैठने का मौका मिला। इसमें बजट पर समीक्षा को देवेंद्र वर्मा ने अनुभव से साकार रूप दिया। सरकार के खिलाफ आए अविश्वास प्रस्ताव के समय भी देवेंद्र वर्मा ने सभापति की कुर्सी से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अभी तक करीब 4 बार देवेंद्र वर्मा को विधानसभा के संचालन की जिम्मेदारी मिल चुकी है, जिसे उन्होंने बखूबी निभाकर साबित कर दिया कि वे निपुण है।
आपको बता दें कि विधानसभा सभापति के किसी कारण से अवकाश पर होने के बाद वरिष्ठता वाले आधार पर सीनियर एमएलए को यह जिम्मेदारी दी जाती है। सभापति भी तय करते हैं कि उनके स्थान पर किन्हें बैठाया जाए।
देवेंद्र वर्मा को इसलिए भी 4 बार मौका मिल चुका है, क्योंकि वह मिलनसार और सभी विधायकों में समन्वय बनाने में माहिर हैं। लगभग 20 साल से विधायक हैं। किसी को भी नाराज नहीं होने देते। कई मौकों पर उनकी हाजिर जवाबी भी मीडिया के शीर्षक बन चुकी हैं। विपक्ष में बैठे कई धुरंधर पूर्व मंत्री व नेता देवेंद्र वर्मा के संचालन की तारीफ कर चुके हैं।
विधानसभा के सभापति का यह दायित्व होता है कि सरकार के कामों को जनता के द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों से स्वीकृति मिल सके। किसी को आपत्ति रहती है, तो वह विधानसभा में बहस करने के बाद इसे पॉजिटिव रूप से सरकार चलाने में मदद करते हैं। सभापति का पद बहुत जिम्मेदारी वाला होता है।
देवेंद्र वर्मा ने कम उम्र में ही विधायक बनकर 2006-07 में उपचुनाव जीता था। पंधाना से उन्हें जीत मिली थी। इसके बाद पंधाना और खंडवा में लगातार 2008, 2013, 2018 के चुनाव जीत चुके हैं। अब 2023 का विधानसभा चुनाव भी इसी साल है। ऐसी परिस्थितियों में देवेंद्र वर्मा यदि 2023 में भी विधायक बनने बने तो उनके राजनीतिक भाग्य का सबसे महत्वपूर्ण बिंदु यही साल साबित हो सकता है।
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