*पर क्या हीरालाल को* **भाजपा सरकार देगी*
*न्याय*** *काम नहीं आया पेसा* *एक्ट का प्रस्ताव*
*आठनेर मुकेश सोनी*
प्रधानमंत्री आवास निर्माण को लेकर विगत 1 माह से हीरालाल पातुल कर एवं पंचायत के बीच चल रहा मामला पट्टे को लेकर आज भूख हड़ताल तक पहुंच गया है हीरालाल ने 2 दिन पहले तहसीलदार आठनेर को एक आवेदन देकर कहा गया था कि 2 दिन में अगर मुझे न्याय नहीं मिला तो मैं 24 फरवरी से भूख हड़ताल पर सपरिवार बैठूंगा और आज 24 फरवरी से हीरालाल अपनी पत्नी बच्चों सहित एवं ग्राम के लगभग 50 लोगों के समर्थन में भूख हड़ताल पर बैठ गया ज्ञात रहे कि हीरालाल के पक्ष में खापा ग्राम के सैकड़ों लोग पेसा एक्ट से लगाकर सारे प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर उसे प्लाट मिले इसके लिए लगभग पूरा गांव एक तरफ हीरालाल के पक्ष में सरकार के नुमाइंदों से हमेशा चर्चा करता रहे परंतु किसी ने भी हीरालाल की समस्या का समाधान ना कर उसे बड़ा रूप देते चले गए भाजपा के युवा मोर्चा मंडल अध्यक्ष खापा से आते हैं परंतु वह भी अपनी पार्टी एवं अपनी सरकार की छवि खराब ना हो और हीरालाल को पट्टा मिल जाए इस पर उन्होंने भी आज तक सरकार पर एवं जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों पर इस संबंध में क्या कार्रवाई चल रही है उन्होंने अपने आला नेताओं को इस समस्या को इतनी जटिल क्यों होने दी ऐसे कई प्रश्न जनता के मन में फूट रहे है एवं भाजपा जनप्रतिनिधियों के इस रवैया से भी जनता खासी नाराज लग रही है वही कांग्रेश के नेतागण इस ग्राम में भी बहुत सक्रिय एव विधायक नीलय डागा जी के भी बहुत करीबी माने जाते हैं परंतु वेभी हीरालाल को न्याय नहीं दिला पा रहा है अब देखना यह है कि हीरालाल को यह भूख हड़ताल कब तक करना पड़ता है पेसा एक्टभी नहीं आ रहा है काम यह पेसा एक्ट सारे आदिवासी भाइयों एवं खापा ग्राम के वासियों के हस्ताक्षर से तहसील कार्यालय में हीरालाल द्वारा पहुंचा दिया गया था जिसकी ओसी हीरालाल के पास रखी गई है परंतु आज तक उस पेसा एक्टपर भी कोई कार्यवाही नहीं करते हुए प्रशासन ने हीरालाल के इस प्रस्ताव की ओर देखा तक नहीं है जबकि यह पेसा एक्ट आदिवासियों के लिए है कहकर सभी ने अपना पल्ला झाड़ लिया था माना की है पेसा एक्ट आदिवासियों के लिए है इसका अध्यक्ष भी आदिवासी है अगर वह भी पेसा एक्ट का इस्तेमाल कर यह प्रस्ताव लेते हैं कि हीरालाल को यहां जगह देना चाहिए उन्हें भी इससे कोई दुख नहीं है और वह भी हीरालाल के समर्थन में सैकड़ों आदिवासी इस पेसा एक्ट पर हस्ताक्षर करते हैं तो प्रशासन को इस से क्या तकलीफ है यह समझ से परे है आज ऐसी क्या बात हो गई की विकास यात्रा खापा ग्राम जाने के बाद भी हीरालाल एवं भूख हड़ताल पर बैठे सैकड़ों लोगों के पास ना जाकर गांव में ही घूम कर अपनी इतिश्री करवा कर चली गई इससे विकास यात्रा में मौजूद सभी जनप्रतिनिधि एवं अधिकारीगण हीरालाल को क्या संदेश देकर चले गए यह भी एक सोचनीय प्रश्न बन गया है जबकि यह विकास यात्रा में आए सभी अधिकारी जनता को हित लाभ देने की बात करते हैं तो हीरालाल को यह हितलाभ क्यों नहीं इस विकास यात्रा में होने वाले हितलाभ से हीरालाल क्यों हैं वंचित ऐसे कई प्रश्न जनता के मन में उठ रहेहै



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