नहीं चाहिए यूरिया, हमारे पास है दही

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रासायनिक उर्वरक व कीटनाशक से होनेवाले नुकसान के प्रति किसान सजग हो रहे हैं। जैविक तकनीक की बदौलत उत्तर बिहार के करीब 90 हजार किसानों ने यूरिया से तोबा कर ली है। इसके बदले दही का प्रयोग कर किसानों ने अनाज, फल, सब्जी के उत्पादन में 25 से 30 फीसदी बढ़ोतरी भी की है। 25 किलो यूरिया का मुकाबला दो किलो दही ही कर रहा है। यूरिया की तुलना में दही मिश्रण का छिड़काव ज्यादा फायदेमंद साबित हो रहा है। किसानों की माने, तो यूरिया से फसल में करीब 25 दिन तक तो दही के प्रयोग से फसलों में 40 दिनों तक हरियाली रहती है। किसानों के लिए देशी गाय का दही खाने ही नहीं बल्कि फसलों की अच्छी पैदावार के लिए भी काम की वस्तु साबित हो रहा है।

दैनिक अनोखा तीर, हरदा। अब किसानों को यूरिया खाद के लिए परेशान होने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि यूरिया के बहिष्कार करने का समय आ गया है। देश के कुछ राज्यों के किसानों ने तो पिछले कुछ सालों से दही का उपयोग करते हुए यूरिया खाद का बहिष्कार भी करना शुरू कर दिया है। मध्यप्रदेश के किसानों को भी अब यूरिया के विकल्प के तौर पर देशी गाय के दही का उपयोग शुरू कर देना चाहिए। जिससे एक ओर जहां मानव स्वास्थ्य के प्रति हमारा महत्वपूर्ण योगदान होगा तो वही दूसरी ओर हमारी उत्पादन क्षमता भी बढ़ती जायेगी।

जब भी फसलों की बुवाई का समय आता है तो किसानो को रासायनिक उर्वरकों की सर्वाधिक आवश्यकता होती हैं। इस दौरान इसकी खपत बढ़ने से अक्सर उपलब्धता में कमी आ जाती हैं। जिसमें यूरिया का उपयोग सर्वाधिक किया जाता है। चूंकि यूरिया पौधो की वृद्धि में सहायक होता है। यहीं कारण है कि अक्सर किसानों को यूरिया के लिए परेशान होते या आंदोलन करते देखा जाता है। यूरिया को लेकर राजनैतिक दलों द्वारा भी किसानों की राजनीति करना प्रारंभ कर दिया जाता है। लेकिन अब किसानों को इसका जैविक विकल्प मिल गया है जिसे कृषि वैज्ञानिकों ने भी प्रमाणित किया है।

आप अपने खेत में देसी गाय के दूध से बने दही का उपयोग करके ही यूरिया की भरपाई कर सकते है। जिससे आपको रासायनिक उर्वरको की लागत के पैसो की भी बचत होगी। तो आइये जानते है कि इस दही को कैसे तैयार किया जाता है।

दही से यूरिया कैसे तैयार करें ?

 दही को यूरिया बनाने के लिए सबसे पहले आप एक मिट्टी के बर्तन या मटके में देसी गाय का 2 किलो दूध ले लीजिये | इसके बाद आप इसे अच्छी तरह गरम कर ले तथा इसे ठंडा होने दीजिये। जब यह गरम दूध गुनगुना हो जाये तो इसमें थोडा सा दही या छाछ मिला ले। इसके बाद आप देखेंगे कि अगले दिन बिलकुल फ्रेश दही तैयार हो जायेगा। इसके बाद इस दही में एक तांबे का टुकड़ा या चम्मच डाल दें तथा इसे 8 से 15 दिनों के लिए ढककर छाया में रख दें। इसके बाद आप इस मटके में से तांबे के टुकड़े को निकाल लीजिये। इसके बाद दही आपको बिलकुल हरे तार के सामान दिखाई देगा। अब आप इसे 5 लीटर मिश्रण बनाने के लिए दो किलो दही में 3 लीटर पानी मिला दीजिये। यह मिश्रण एक एकड़ फसल के लिए पर्याप्त है। इस मिश्रण को आप स्प्रे मशीन में पानी के साथ मिलाकर छिडकाव कर दीजिये। ऐसा करने से आपकी फसल के पौधे 25 से 45 दिनों तक हरे रहेंगे | क्योंकि कि उनमे नाइट्रोजन की कमी नहीं रहेगी जिससे आपकी फसल हरी भरी हो जाएगी।

कौन कौन सी फसलों पर कर सकते है छिड़काव

                                                                 इस प्रकार से बनाये गए दही के मिश्रण को आप सभी प्रकार की फसलों पर कर सकते हैं। जैसे गेहूं , मक्का, अरहर,मूंग, धान, केला आदि पर सभी प्रकार की फसलों पर कर सकते हैं। वहीं सभी तरह की सब्जियों, फलों पर भी छिडकाव कर सकते हैं।

दही के उपयोग के लाभ

 दही का उपयोग खेतों में फसलों पर करने से कई प्रकार के लाभ है। इससे खेतो में 15 दिनों तक सिंचाई करने की आवश्यकता नहीं होती है। इसलिए प्रति एकड़ 1000 रुपयें आप बचा सकते है। कीटनाशकों को मारने के लिए यूरिया तथा कीटनाशकों का कुल खर्च 3500 रुपयें प्रति एकड़ होती हैं। जबकि 100 रुपयें में दो किलो दही तैयार हो जाता है। इस प्रकार दही के प्रयोग से कृषि की लागत का 95 प्रतिशत बच जाता हैं। इतना ही नहीं बल्कि खेती में फसल की पैदावार में भी 15‌ प्रतिशत की वृद्धि हो जाती है।

बगीचे में उपयोग

 इस दही का उपयोग बगीचे में पौधो पर फल आने से 25 दिन पहले किया जाता है। यह बगीचे के पौधो को फोस्फोरस तथा नाइट्रोजन प्रदान करता है। इससे बगीचे की फसलों को जैविक खाद मिल जाता है। वहीं इस छिड़काव से सभी पोधों पर फल एक सामान तैयार होते है।

कीटनाशक का भी विकल्प

    कीटनाशकों के विकल्प के तौर पर भी इसका प्रयोग किया जा सकता है।‌ इसके लिए आपको तैयार किये गए दही में नीम का तेल तथा मेथी का पेस्ट मिलाकर छिड़काव किया जाता है।अगर आप इसे कीटनाशक के रूप में स्प्रे करते है तो यह आपकी फसल को कई प्रकार की बीमारियों बचाव करते हुए फंगस नहीं लगने देगा। इससे फसलों को नाइट्रोजन मिलती है। यह कीटनाशक के रूप में कार्य करता है तथा फसल के अनुकूल कीटों से बचाता है।

देसी खाद भी बन जाता

दही का उपयोग मिट्टी में खाद के रूप में भी किया जाता है। इसे 2 किलो दही प्रति एकड़ के हिसाब उपयोग किया जाता है। अगर आपके खेत की मिट्टी में माइक्रोबियल बेक्टीरिया की मात्रा अधिक है तो आप इसका प्रयोग कर सकते है। ऐसा करने से आपकी फसलों का 25 प्रतिशत उत्पादन बढ़ जाता हैं। वहीं दूसरी ओर पानी की खपत कम हो जाती है। 300 ग्राम दही में 300 ग्राम सेंधा नमक मिलाकर इस मिश्रण का छिडकाव करने खेत में करने से 15 दिनों तक पानी की जरूरत नहीं पड़ती है। इस आसान घरेलू यूरिया और कीटनाशक से आपको एक ओर जहां उत्पादन लागत में कमी आयेगी तो वही मिट्टी की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होगी। उम्मीद है हमारे किसान भाई कृषि विभाग के वैज्ञानिकों से सलाह लेकर अब यूरिया का बहिष्कार करते हुए यह देसी घरेलू नुस्खे का प्रयोग करेंगे।

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