गणेश पांडे, भोपाल। राज्य सरकार ने माफियाओं को टकराने में प्राण गंवाने वाले वन कर्मियों को शहीद का दर्जा नहीं दिया है, पर वन विभाग ने रविवार को शहीद दिवस मनाने का परिपत्र जारी कर वन कर्मियों के जले पर नमक छिड़कने का काम किया है। हद तो तब हो गई कि वन विभाग में शीर्ष पदों पर बैठे अफसर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की घोषणा के बाद भी मृतक मदनलाल वर्मा की पत्नी को अभी तक 1 करोड़ रुपए की राहत राशि नहीं दिलवा सके। 19 महीने का समय बीत गया है। यह बात और है कि 19 महीने में आईएफएस अफसरों ने सरकार को कन्वेंस कर अपने लिए शीर्ष पद जरूर बढ़वा लिए हैं। माफियाओं के हमले में 1993 से अब तक 42 वन कर्मियों की मौत हो चुकी है।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक मुख्यालय सतपुड़ा से सभी क्षेत्रीय वन संरक्षक, क्षेत्र संचालक और समस्त डीएफओ को एक परिपत्र जारी कर 11 सितंबर रविवार को शहीद दिवस मनाने के लिए निर्देशित किया है। इसी परिपत्र में कहा है कि राज्य शासन सहित वन कर्मियों के परिवारों को समुचित सहायता उपलब्ध कराने के कृत संकल्पित है। यह भी कहा है कि वन शहीदों की स्मृति में वन भवन में स्मारक बनाया जाना प्रस्तावित है। इस परिपत्र के जारी होने के बाद वन कर्मचारी नेता अशोक पांडे ने यह सवाल किया है कि जब सरकार ने ही शहीद का दर्जा नहीं दिया तो यह शहीद दिवस मनाने का क्या फायदा? पांडे ने कहा कि यह हम वनकर्मियों के जले पर नमक छिड़कने का काम किया है। पांडे का साफ आरोप है कि बड़े अफसर अपने पद और प्राइम पोस्टिंग के लिए सरकार को राजी कर लेते हैं, पर शहीद का दर्जा वन कर्मियों को मिले, इसके लिए कोई पहल नहीं की गई।
19 महीने बाद भी विभाग नहीं दिला पाया 1 करोड़ रुपए
देवास वन मंडल की पुंजापुरा रेंज की बीट रतनपुर के फॉरेस्ट गार्ड मदनलाल वर्मा 5 फरवरी की मध्य रात्रि में शिकारियों की गोली लगने से मौत हो गई थी। इस घटना की शिकारियों ने बाकायदा वीडियो भी बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल भी किया था। घटना के 2 दिन बाद 7 फरवरी 21 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मदनलाल वर्मा को शहीद के समकक्ष दर्जा दिए जाने, १ करोड़ रुपए की सहायता राशि और मकान के साथ-साथ परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की घोषणा की थी। मृतक के बेटे जितेंद्र मदनलाल वर्मा को वन विभाग में नौकरी तो मिल गई, किंतु उनकी मां कृष्णा बाई को न तो मकान मिला और न ही 1 करोड़ रुपए की सहायता राशि मिल पाई है। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद वन विभाग ने सितंबर 2021 को राज्य शासन को एक पत्र लिखा। इसमें मुख्यमंत्री की घोषणा का उल्लेख करते हुए मृतक के परिजनों को 1 करोड़ और मकान देने की बात कही गई थी। इस पत्र के बाद विभाग के किसी भी बड़े अफसर ने अपने शहीद वनकर्मी के लिए दूसरा पत्र नहीं लिखा। यहां यह भी उल्लेख करना उचित होगा कि लटेरी की घटना में आरोपित लकड़ी तस्कर चैनसिंह की मृत्यु पर सरकार की ओर से 50 लाख रुपए का चेक एसडीएम उसके परिजनों को देकर आ गए पर कर्तव्य की वेदी पर मृत मदनलाल वर्मा के परिजन सहायता राशि और मकान के लिए भटक रहे हैं।