गजेन्द्र खंडेलवाल, नसरुल्लागंज। आगामी दिनों में संपन्न होने वाले विधानसभा व लोकसभा चुनाव को लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व प्रदेश सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान सक्रिय हो चुके हैं ओर इस समय आदिवासी वोटो को साधने के लिए दोनों ही प्रयासरत हैं। पिछले दिनों देश के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति पद पर आदिवासी महिला द्रोपदी मुर्मू की ताजपोशी कराई गई वहीं आदिवासी हितों के सरंक्षण के लिए प्रदेश के मुखिया ने कई योजनाएं लागूृ कर उन्हें साधने का प्रयास किया। लोकसभा व विधानसभा चुनाव को देखते हुए राजनैतिक दल सक्रिय हो चुके हैं। मप्र में तीन दर्जन से भी अधिक आदिवासी सीटें हैं, जिसमें पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा को दो दर्जन सीटों पर निराशा हाथ लगी थी। ऐसे में वर्ष 2018 के चुनाव में मप्र में भाजपा सरकार बनाने से थोड़ा पीछे रह गई थी। हालांकि 15 महीने बाद कांगे्रस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में आने ओर 22 विधायकों के द्वारा कांगे्रस से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता लेने के बाद भाजपा पुन: सत्ता में आ गई। ऐसे में भाजपा अब फूंक-फूंक कर कदम रख रही हैं। सत्ता के साथ संगठन भी आदिवासी सीटों की ओर सबसे अधिक ध्यान दे रहा हैं। विशेषकर जिन सीटों पर मामूली अंतर से भाजपा प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा था वहां पर भाजपा नेता पुरजोर ताकत लगा रहे हैं। प्रदेश के मुखिया ने आदिवासी वोटों को साधने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में भोपाल के जंबूरी मैदान में 4 लाख आदिवासियों को विरसामुंडा जयंती पर एकत्रित कर इस दिन शासकीय अवकाश घोषित किया गया था। वहीं जबलपुर में आदिवासी शंकर शाह व रघुनाथ शाह की प्रतिमा का अनावरण भी केंद्रीय गृह मंत्री ने किया था। इसके अतिरिक्त अनेको योजना केंद्र व राज्य सरकार के द्वारा चलाई जा रही है, लेकिन अपनी ही सरकार की चल रही योजनाओं को धता बताते हुए क्षेत्रीय सांसद रमाकांत भार्गव आदिवासी जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा करने से कोई गुरेज नहीं कर रहे हैं। जिसका नजारा पिछले दिनों उनके गृह नगर शाहगंज में ही देखने को मिला था। जहां नप अध्यक्ष शपथ ग्रहण समारोह में आदिवासी वित्त विकास निगम की चैयरमेन निर्मला सुनिल बारेला को आमंत्रित नहीं किया गया। जबकि वह इसी विधानसभा क्षेत्र की निवासी हंै और लगभग 30 हजार वोट आदिवासी समाज के इसी विधानसभा क्षेत्र में आते हैं। इसी विधानसभा क्षेत्र से वर्तमान में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विधायक भी हैं।
आदिवासियों के उत्थान के लिए सरकारी प्रयास
केंद्र व राज्य सरकार द्वारा आदिवासियों के उत्थान के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। जिसमें आदिवासियों को सबसे बड़ी सौगात देश के प्रधानमंत्री के द्वारा भोपाल हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रानी कमलापति के नाम कर दिया है। यह स्टेशन विश्व स्तरीय सुविधाओं में शुमार है। इसके अतिरिक्त पिछले दिनों इंदौर के भंवर कुआं चौराहे को टंट्या भील चौराहे में परिवर्तित किया गया। मप्र में पैसा एक्ट कानून लागू कर आदिवासियों के क्षेत्र में आदिवासियों का हक निर्धारित किया गया। सरकार की राशन आपके द्वार योजना में 89 आदिवासी विकासखंडो में खाद्य विभाग द्वारा आदिवासी लोगों को लोन वितरित कर समाज के युवाओं को वाहन की सुविधा उपलब्ध कराई है, जिससे कि आदिवासी युवा इसी वाहन से घर-घर राशन देकर अपना रोजगार चला रहे हैं। प्रदेश के 825 वन ग्रामों को राजस्व गांव घोषित करने की प्रक्रिया विचाराधीन है। जिस पर जल्द ही मोहर लगने वाली हैं।
आदिवासी नेता के साथ स्थानीय जनप्रतिनिधि की उपेक्षा क्यों
मुख्यमंत्री की विधानसभा क्षेत्र में आखिर आदिवासी नेता की उपेक्षा क्यों की गई। यह संपूर्ण जिले में चर्चा का विषय बना हैं। इसके अतिरिक्त कार्यक्रम से पूर्व निगम अध्यक्ष व पूर्व प्रदेश मंत्री को भी दूर रखा गया। जिस तरह से सांसद द्वारा आदिवासी नेता के साथ-साथ क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा की गई वह कहीं न कहीं आपसी मतभेद की स्थिति को उजागर कर रही हैं। हालांकि इस मामले में भाजपा नेता खुलकर सामने नही आ रहे हैं। लेकिन दबी जबान से कई छोटे कार्यकर्ता यह स्वीकार रहे हैं कि कहीं न कहीं पार्टी में कार्यकर्ताओं की उपेक्षा लंबे समय से की जा रही हैं।
इस मामले में आदिवासी वित्त विकास निगम की अध्यक्ष निर्मला सुनिल बारेला ने बताया कि उपेक्षा किए जाने संबंधी कोई भी बात मुझे नहीं पता। यदि शपथ ग्रहण समारोह कार्ड में मेरा नाम नहीं हैं तो यह भूलवश हुआ होगा। उन्होंने आपसी मतभेद की बातों को पूरी तरह नकारा है।