जब सावन के झूला झूले कृषि मंत्री

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दैनिक अनोखा तीर, हरदा।
सावन में झूला झूले आज गजानन आ जाओ। मेरे प्रदेश के किसान बुलाएं आ जाओ।‌
हम सब मिलकर झूला झूले गजानन आ जाओ।मान वसुंधरा का तुम बढ़ाने, ओर लहर लहर तिरंगा लहराने गजानंद तुम आ जाओ।
आओ हम तुम मिलकर अमृत महोत्सव के गीत गाए और झूला झूल कर खुशियां मनाएं,
आओ गजानंद तुम आ जाओ।

किसानों के तुम चेहरे खिला जाओ, देश के मेरे भंडार भर जाओ, सावन में झूला झूले गजानन तुम आ जाओ।
शासन के कृषि मंत्री कमल पटेल आज अपने गृह जिले हरदा में किसान ट्रैक्टर तिरंगा रैली से पहले एक गांव में लगे सावन के झूले पर झूलने से खुद को नहीं रोक पाए। उल्लेखनीय है कि हमारे ग्रामीण अंचलों में सावन के झूले कि यह वर्षों पुरानी परंपरा यदा-कदा ही देखने को मिलती है। पहले हर गांव गांव में जगह जगह सावन के झूले आम,बरगद और नीम के पेड़ों पर डाले जाते थे। जहां बहन बेटियां भगवान श्री कृष्ण और राधा को केंद्र में रखते हुए गीत गाकर इन झूलों का आनंद लिया करती थी। सावन के झूले पड़े, तुम चले आओ.., सावन के झूलों ने मुझको बुलाया.. जैसे गीत सावन में झूला झूलने की परंपरा को याद दिलाते हैं। सावन मास की शुरुआत से ही यह झूले शुरू हो जाते थे। लेकिन अब पेड़ों पर ना तो सावन के झूले पड़ते हैं और ना ही बाग-बगीचों में सखियों की रौनक होती है। जबकि एक जमाने में सावन लगते ही विवाहित बेटियाें को ससुराल से बुलाया जाता था। वे मेहंदी लगाकर सावन के इस मौसम में सखियों के संग झूला झूलने का आनंद लिया करती थी और वहीं, बरसती बूंदें मौसम का मजा और दोगुना कर देती थी। लेकिन अब ये परंपरा खत्म होती जा रही है। अब न तो झूले पड़ते हैं और न ही गीत सुनाई देते हैं।
बहराल हरदा जिले में आज कृषि मंत्री कमल पटेल ने स्वयं झूला झूल कर जहां अपनी पुरानी बचपन की यादों को ताजा किया वही इसकी महत्ता को भी प्रदर्शित कर दिया।

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