गणेश पांडे भोपाल
भोपाल. विदिशा वन मंडल के लटेरी रेंज में वन कर्मियों द्वारा आत्म सुरक्षा में चलाई गई गोलीबारी से एक आरोपी की मौत के बाद राज्य शासन ने डीएफओ राजवीर सिंह को विदिशा से हटाकर मुख्यालय अटैच कर दिया है. उनके स्थान पर रायसेन के डीएफओ अजय पांडेय विदिशा वन मंडल का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है. विदिशा वन मंडल में लटेरी रेंज हमेशा से ही अवैध कटाई के मामले में अति संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है. यह सिलसिला दो दशकों से हो रहा है. स्थानीय आदिवासी अपनी आजीविका चलाने के लिए रसूखदार टिंबर माफिया के इस इशारे पर काम करते आ रहें हैं.
लकड़ी चोरी के मामले में बुधवार को लटेरी गोलीकांड के मामले में वन कर्मियों पर एफआईआर दर्ज होने के बाद जंगल महकमे की कर्मचारियों और अधिकारियों में असंतोष है. अपराधिक प्रकरण दर्ज होने के बाद मैदानी अमले का मनोबल भी गिरा है. एक एपीसीसीएफ स्तर के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सीआरपीसी की धारा 197 के तहत वन कर्मियों को प्रोटेक्शन दिया गया है कि गोलीबारी की घटना में तब तक एफआईआर दर्ज नहीं होगी जब तक गजटेड ऑफिसर की जांच रिपोर्ट न जाए. लटेरी गोलीकांड में वन कर्मियों पर बिना जांच के आईपीसी की धारा 302 और 307 के तहत एफआईआर दर्ज कर दी गई. वरिष्ठ आइएफएस अधिकारी ने सरकार और शासन के बीच प्रश्न उछाला है कि ऐसी स्थिति में मैदानी अमला वनों की सुरक्षा कैसे करेगा..? उन्होंने बताया कि हर साल 2 दर्जन से अधिक वन कर्मचारियों की जंगल में सक्रिय संगठित गिरोह द्वारा पिटाई की जाती है और हम कुछ नहीं कर पाते. ना तो मैदानी अमले के पास आधुनिक हथियार हैं और ना ही अधिकार मिले हैं.
*यहां हुई डीएफओ से चूक…*
लटेरी में जब वन कर्मियों और चोर गिरोह का आमना सामना हुआ. पथराव और गोली चालन हुआ, इसकी जानकारी डीएफओ को तत्काल पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर को देना थी, जो कि नहीं दी गई. इस बात का उल्लेख कलेक्टर और एसपी ने अपर मुख्य सचिव गृह और डीजीपी को अवगत कराया. इसके अलावा न ही फॉरेस्ट अधिकारी एवं कर्मचारियों ने समीप के थाने में भी पथराव और गोलीबारी की जानकारी संबंधित एफआईआर दर्ज कराई. इसके कारण वन विभाग का पक्ष कमजोर नजर आया.
*इन क्षेत्रों में होती है अवैध कटाई*
विदिशा जिले की लटेरी तहसील क्षेत्र की दक्षिण रेंज की झूकरजोगी , काटरआड़ी , तिलोनी, दपकन, बैरागढ़, कोटरा, कोलुआपठार, जमोनिया, मुस्कुरा, मुरवास बीट देर रात में अवैध तरीके से सागौन के सैकड़ों पेड़ो को माफिया मशीन से काट ले जाते रहें हैं. इस क्षेत्र में बड़े स्तर पर सागौन के वृक्ष काटे गए हैं. वन विभाग और वन विकास निगम के अधिकारी अवैध कटाई को रोकने में असमर्थ दिखाई दे रहे हैं.
*अवैध कटाई और अतिक्रमण से 20 % वन क्षेत्र घटा*
राष्ट्रीय वन नीति के अनुसार जिले में 33 फीसद वन क्षेत्र होना चाहिए, लेकिन जिले में 10.55 फीसद ही वन क्षेत्र बचा है. हर साल जंगलों में पौधरोपण होने के बावजूद जंगल का रकबा कम होता जा रहा है. जंगलों में अतिक्रमण रोकने के लिए वन विभाग का मैदानी अमला प्रयास भी करता है लेकिन उन्हें भी कई बार हमले का शिकार होना पड़ता है.
*विदिशा में हजारों हेक्टेयर में है अतिक्रमण*
जिले के हजारों हेक्टेयर जंगल मे आज भी अतिक्रमण कर खेती की जा रही है. वन विभाग के अनुसार जिले में करीब 21 हजार हेक्टेयर में अतिक्रमण कर खेती हो रही थी. शासन के आदेश के अनुसार 988 हेक्टेयर पर लंबे समय से खेती करने वाले लोगों को वनाधिकार पट्टे बांट दिए हैं. वहीं 12 हजार 912 हेक्टेयर में खेती करने वाले लोगों को पट्टे बांटने की प्रक्रिया चल रही है. वन विभाग के अधिकारी इसे ही अतिक्रमण मान रहे हैं जबकि सूत्रों का कहना है कि इसके अलावा भी जंगलो में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण कर खेती की जा रही है. इनमें सिरोंज, लटेरी और शमशाबाद के जंगलों में पेड़ों की कटाई कर जंगल साफ किया जा रहा है. इसके बाद इस जमीन पर खेती हो रही है. कुछ दिन पहले ही सिरोंज में पठेरा और अमीरगढ़ के बीच वनभूमि पर खेती करने का मामला सामने आया था. इसमें अतिक्रमण कर खेती कर रहे तीन लोगों ने वनकर्मियों के साथ झूमाझटकी की थी. जिसकी रिपोर्ट भी दीपनाखेड़ा थाने में दर्ज हुई थी. इस तरह के मामले हर साल बढ़ रहे हैं.