आत्मा को पूर्ण बनाने का प्रयास इसी भव में करना चाहिए : पूज्य साध्वी श्री

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 अनोखा तीर, खिरकिया। उपाश्रय भवन में विराजित पूज्य किरण बालाजी महाराज साहब की आज्ञानुवर्ती सुशिष्या पूज्य सारिका जी महाराज साहब ने समता भवन में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि तीर्थंकर परमात्मा स्वयं को पूर्ण कर फिर पूर्णता का उपदेश देते हैं। जिसके पास जो होता है, वही वह संसार को देता है। गुरु भगवंतों के पास धर्म रूपी धन होता है, इसलिए वे आने वालों को धर्म की ही संपदा प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि संसार का राग स्वयं को भी डुबोता है और दूसरों को भी। अनंत काल से जीव मोह और राग में डूबता-धक्का खाते हुए भटक रहा है, लेकिन समझ अभी भी दूर है। संसार का हर कार्य जीव कर लेता है, पर धर्म कार्य में पीछे हट जाता है। आत्मा को पूर्ण बनाने का प्रयास इसी भव में करना आवश्यक है, क्योंकि नरक, तिर्यंच और देव — तीनों गतियों में धर्म साधना का अवसर नहीं मिलता। यदि आज धर्म करने का मन नहीं हुआ, पुरुषार्थ करने का भाव नहीं आया, तो तिर्यंच गति में केवल फुर्सत ही फुर्सत मिलेगी। धर्मसभा को संबोधित करते हुए पूज्य शिल्पा जी महाराज साहब ने कहा कि पांच इंद्रियां जीव को संसार में बांधती हैं, जिनमें रसनेंद्रिय सबसे खतरनाक है। खाने में संयम न हो तो पेट दुखता है और बोलने में संयम न हो तो माथा। वैराग्य का व्याख्यान सुनकर आनंद आए तो यह इंद्रियों का पोषण है, और यदि उसे जीवन में उतारने का भाव आए तो वह आत्मा का पोषण है। उन्होंने कहा कि जीव तीन प्रकार के होते हैं एक खाने के लिए जीते हैं, एक जीने के लिए खाते हैं और एक संयम निर्वाह के लिए। साधु भगवंत संयम निर्वाह के लिए भोजन करते हैं और यातना पूर्वक किया गया भोजन भी निर्जरा का कारण बन जाता है। आज व्यक्ति बफेट में, खड़े-खड़े या चलते-चलते भोजन कर रहा है, जैसा तिर्यंच भी करते हैं, और वही आदतें आज मानव अपना रहा है। भोजन करते समय लोग झूठा भी छोड़ते हैं ताकि दूसरे क्या सोचेंगे, मान-कषाय आड़े आ जाता है। कहीं एकासन की व्यवस्था हो तो लोग दिखावे के लिए वहां जाकर बैठ जाते हैं — यह भी माया है। भोजन परोसते समय लोभवश अधिक भर लेते हैं और किसी चीज की कमी हो जाए तो क्रोध करने लगते हैं। इस प्रकार जहां निर्जरा होनी चाहिए, वहां कषायों के कारण कर्मबंध हो जाता है। कार्यक्रम में श्रीमती दीपा नितिन विनायक ने पूज्य महाराज साहब से तीन उपवास तेले का प्रत्याख्यान ग्रहण किया। प्रभावना का वितरण भवानजी वेरशी नागड़ा परिवार द्वारा किया गया। संचालन आदेश विनायक ने किया। पूज्य किरण बाला मसा आदि ठाणा-4 आज दोपहर 3.30 बजे उपाश्रय भवन से विहार कर समता भवन पधारे।

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