अपनो से अपनी बात

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15वें वर्ष में प्रवेश करने जा रहा आपका अनोखा तीर

प्रहलाद शर्मा
सुधि पाठकों, विज्ञापन दाताओं, विभिन्न शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सेवारत मेरी टीम के साथियों तथा अखबार की निरंतरता में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से अपने लेखन, सुझाव व मनोबल बढ़ाते रहने वाले सभी शुभचिंतकों का हृदय से धन्यवाद, आभार तथा बधाई। आप सभी के समन्वित प्रयासों का ही प्रतिफल है कि इन विषम परिस्थितियों में भी हरदा जैसी छोटी सी जगह से दैनिक अखबार अनोखा तीर अपनी निरंतरता के साथ आगामी 5 जून को अपने 15वें वर्ष में प्रवेश करने जा रहा है। संचार क्रांति के इस कालखंड में सोशल मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आदि माध्यमों से पल-पल मिलने वाली खबरों तथा अंतहीन सूचनाओं के इस दौर में हर दिन सुबह पाठक के हाथों में पहुंचने वाला अखबार कैसा हो? क्या कुछ नया परोसा जाएं जो पाठकों को अखबार से जोड़ें रखें, यह चुनौती हर दिन बनी रहती है। इसी के साथ दैनिक अनोखा तीर प्रारंभ से ही एक और चुनौती का सामना करता आया है, वह है संसाधनों की कमी। आर्थिक संकट से जूझना तो इस समय हमारे जैसे आंचलिक अखबारों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है ही, वहीं स्थानीय स्तर पर अखबार में काम करने वाले लोगों का भी एक सबसे बड़ा संकट है। सरकारों पर आरोप मढ़ने या राजनीति करने के लिए कहने को तो बेरोजगारी एक मुद्दा हमेशा बनी रहती है, लेकिन वास्तव में देखा जाएं तो आज ढूंढने से भी काम करने वाले नहीं मिल रहे हैं।  सबको सरकारी नौकरी चाहिए, जहां बैठकर वह सब किया जा सके, जिसके लिए आज आम जनता सरकारी तंत्र पर आरोप लगाया करती हैं। जहां एक ओर सरकार की मुफ्तखोरी योजनाओं ने किसान, व्यापारी सबके समझ मजदूरों का संकट खड़ा कर दिया है, तो वहीं दूसरी ओर यू-ट्यूब चैनलों ने गली गली में पत्रकार खड़े कर दिए। जिसके चलते अखबार में काम करने वाले अच्छे जुझारू लोगों का अभाव हो गया है। इन तमाम परिस्थितियों का सामना करते हुए अनोखा तीर साहित्यिक तौर पर भुआणा कहलाने वाले हरदा जिले के साथ ही निमाड़, मालवा सहित प्रदेश की राजधानी भोपाल तक 10 जिला मुख्यालय एवं उनके तहसील और ग्रामीण अंचलों को एक माला के रूप में एक संस्करण एक अखबार बनकर जोड़े हुए हैं। एक क्षेत्रीय अखबार होते हुए भी अनोखा तीर गांव से लेकर प्रदेश और देश की प्रमुख खबरों के साथ पाठकों का चहेता बना हुआ है। जहां तक खबरों या अखबार की दिशा का सवाल है तो अनोखा तीर प्रारंभ से ही जल, जंगल और जमीन को अपनी प्राथमिकता देता आया है। गांवों की आवाज को जिला मुख्यालय तथा राजधानी में बुलंद करने के साथ ही सामाजिक सरोकार के उपरोक्त तीनों विषयों पर इन बीते 14 वर्षों में भरपूर लेखन किया गया है। भू-जल संरक्षण तथा प्रदेश की जीवनरेखा कहलाने वाली मां नर्मदा तथा उसकी सहायक नदियों को सदा नीरा बनाएं रखने को लेकर जनता में जन जागृति जैसे प्रयास किए जाते रहे हैं। मैंने स्वयं अमृत वन फाउंडेशन के बेनर तले निकली नर्मदा पर्यावरण संरक्षण यात्रा में शामिल होकर 20 दिनों तक निरंतर नर्मदा परिक्रमा करते हुए नदियों के संरक्षण तथा निजी भूमि एवं नदी नालों के तटों पर पौधारोपण हेतु गांव-गांव में संगोष्ठी करते हुए न केवल अनोखा तीर अपितु अन्य अखबारों, चैनलों तथा संचार माध्यम से जनजागरण का कार्य किया है। वृक्षारोपण की महत्वता को लेकर बीते वर्षों में लोकभाषा में भी खूब लिखा गया। ग्लोबल वार्मिंग के साथ ही लोकल वार्मिंग कम करने जैसे विषयों पर देश और प्रदेश के पर्यावरण प्रेमियों तथा विशेषज्ञों के लेखों को न केवल नियमित अखबार में प्रकाशित किया गया, अपितु अनोखा तीर द्वारा पर्यावरण संरक्षण को लेकर ‘तपती धरतीÓ नाम से एक पाक्षिक परिशिष्ट ही प्रकाशित किया जाने लगा था। लगभग 7-8 माह चलाने उपरांत आर्थिक संकट के चलते उसे हमें रोकना पड़ा। इसी तरह जमीन अर्थात धरती पुत्र किसानों की समस्याओं को प्रमुखता से उठाते हुए अनोखा तीर हमेशा उनकी आवाज बना है। इन बीते वर्षों में हरदा से प्रकाशित होकर भी अनोखा तीर ने राजधानी भोपाल के राजनीतिक और प्रशासनिक क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है। अनोखा तीर ने जहां पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को लेकर लगातार ‘ मैं हूं नाÓ शीर्षक से पत्रिका का प्रकाशन करते हुए सीधे मुख्यमंत्री आवास में अपनी महत्वत्ता कायम की, तो वहीं वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के जन्मदिन अवसर पर भी प्रदेश के प्रसिद्ध साहित्यकारों, पत्रकारों तथा आम जनता के विचारों के साथ ‘ सबके मोहनÓ पत्रिका का प्रकाशन किया। जिसका स्वयं मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने विमोचन करते हुए उसमें प्रकाशित सामग्री एवं उसके प्रस्तुतीकरण की सराहना की थी। राजधानी भोपाल सहित प्रदेश के महानगरीय क्षेत्र से भारी भरक संसाधनों और सुदृढ़ आर्थिक व्यवस्था के साथ प्रकाशित होने वाले समाचार-पत्रों के बीच हरदा जैसे छोटे शहर से प्रकाशित होने वाले अखबार के लिए यह कम उपलब्धि नहीं है। यह हरदा सहित हमारे प्रसार क्षेत्र वाले पाठकों तथा अखबार की टीम के लिए गौरवान्वित महसूस करने का विषय है। आज जब अखबार अपने सफर का एक और वर्ष पूर्ण कर नये वर्ष में कदम रखने जा रहा है, पिछले संघर्ष की हर घटनाएं किसी फिल्मी दृश्य की भांति हमारे सामने से गुजरती नजर आती है। बहरहाल इस बात से आम लोगों को कोई सरोकार नहीं, ओर होना भी नहीं चाहिए, लेकिन अतीत को भुलाया भी नहीं जा सकता। मुझे उम्मीद ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि पाठकों, विज्ञापनदाताओं तथा शुभचिंतकों को जो स्नेह सहयोग अभी तक मिलता रहा है वह आगामी वर्ष में भी सतत जारी रहेगा। दैनिक अनोखा तीर पूर्ण निष्पक्षता के साथ आपकी आवाज बनकर आपकी समस्याओं के समाधान हेतु सरकार और आपके बीच सेतु बना रहेगा ऐसा हम विश्वास दिलाते हैं।

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