मेहनत के मोती समेटने लगे अन्नदाता…

पतझड़ के बीच हरियाली छोड़ सुनहरी चादर में सजी वसुंधरा
 लोकेश जाट, हरदा। जिले में चारों ओर रबी फसले लहलहा रही थी। वसुंधरा हरियाली चादर से हर किसी के मन को मोह रही थी। पतझड़ के मौसम व फाल्गुन की मस्ती के बीच हरियाली को छोड़ सुनहरी चादर में सजी वसुंधरा को देखकर भारत का भाग्य विधाता अन्नदाता किसान खुशी और आनंद में उत्साहित होकर मेहनत के मोती को समेटने में लग गया है। तीन माह पहले नवंबर के आखरी सप्ताह बोया बीज अब फल स्वरूप किसान की झोली भरने को तैयार हो गया है। जनवरी-फरवरी की कड़कड़ाती सर्दी में अपने खून और पसीने और दिन- रात मेहनत कर अपने खेतों में गेहूं -चना, मक्का की फसल की बच्चों जैसी परवरिश कर अपने खून से सींचा है जो अब  तैयार हो गई है। किसान भाई ने अब इस पकी हुई फसलों को अपने घर तक ले जाने के लिए कटाई शुरू कर दी है। आस-पास के ग्रामों में पंजाब हरियाणा से फसल की कटाई के लिए आई हार्वेस्टर मशीने दिखाई देने लगी है। पिछले साल की तरह इस साल भी बीच-बीच मेें मौसम के बदलने और बारिश होने से फसलों पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। आदमपुर के धीरज सेवर, भुन्नास के देवेन्द्र सिरोही, गांगियाखेेड़ी के लक्ष्मीनारायण सेवर, नांदरा के पकंज  पटेल कड़वा, गोगिया के जगदीश चोयल, जुगल पटेल, धर्मेन्द्र पटेल, पवन पटेल, रोहित त्रिपाठी, भरत सिरोही, आनंद पटेल, किरण पटेल, विशाल पटेल, निवास चौहान, सुनिल चौहान, निखिल पटेल, कपील पटेल, राधेश्याम कालीराणा, निवास रिनवा, ओम विडोरिया सहित अन्य किसानों  ने बताया कि किसानों ने दिन-रात मेहनत कर लागत लगाकर फसल बोयी। इन चार महिने में मौैसम के कई उतार-चढ़ाव देखे। उम्मीद के अनुसार तो पैदावार नहीं निकल रही है, लेकिन किसान हमेशा आशावादी रहा है। नफा-नुकसान भी होता रहता है, यदि किसानों को सरकार का साथ मिले और उनकी कड़ी मेहनत से तैयार फसलों का अच्छा दाम मिले तो किसान खुशहाल हो सकता और उसकी हालत में सुधार हो सकता है।
 किसानों को सुझाव


जिले में गेहूं कटाई का काम शुरू हो चुका है , हर गांव में , गांव के बाहर जो कचरा घर  नाडेप  बने हुए हैं। उन्हें खाली करवा दिया जाए तो ठीक रहेगा, जिससे की उसमें किसी भी प्रकार से आग ना लग पाए। हर गांव में पानी के टैंकर उपलब्ध है अगले एक दो हफ्ते तक उन्हें पानी से भरकर रखें। इस सीजन में जिले में आगजनी की दो घटनाएं हो चुकी हैं। जिस पर ग्रामीणों की मदद से समय रहते आग पर काबू  पा लिया  गया। गांव तक फायर ब्रिगेड पहुंचने में समय लगता है, यदि गांव में उपलब्ध पानी के टेंकर पानी से भरे रहेंगेे तो आगजनी जैसी घटनाओं पर समय से काबू पाया जा सकेगा। सावधानी में ही सुरक्षा है , खेतों के आस-पास आग ना जलाएं, बिजली के तारों को खुला ना छोड़े , खेतों के पास जल की उचित व्यवस्था रखें। बिजली के तारों के नीचे की फसल की जल्दी कटाई करे, क्योंकि जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी आग लगने का भय बना रहता है।
स्टाक लिमिट हटाने की मांग

जिले के किसान और किसान आक्रोश मोर्चा के सदस्य राम इनानिया ने बताया कि किसान की फसल पर इस बार भी मौसम की मार लगी है और पैदावार प्रभावित हुई है। चने-गेहंू की फसल में किसान चार महिने तक लागत लगाता हैै और मंडी में जब उपज बेचने पहुंचता है तो उसे उसका उचित दाम नहीं मिलता। सरकार द्वारा मंडी व्यापारियों पर स्टॉक लिमीट लगा दी गई है, जो हटाई जाना चाहिए। अगर यह स्टॉक लिमीट हटेगी तो व्यापारी किसान से उचित दाम पर फसल की खरीदी करेंगा। सरकार अगर किसान हैैतेेषी है तो किसान हित में फैसले होने चाहिए न की ऐसे फैसले होने चाहिए जो किसानों के लिए समस्या खड़ी कर दे। किसान तो फसल बोने से लेकर कटाई कर घर लाने तक समस्या से जुझता रहता है। अब फसल बेचने में भी उसको समस्या आ रही है। किसानों की मांग है कि व्यापारियों पर लगाई गई स्टॉक लिमिट हटाई जानी चाहिए।
कृषि कर्मण अवार्ड दिला चुके, किसानों को मिले फसल का उचित दाम


भारतीय किसान संघ जिला प्रवक्ता राजनारायण गौैर ने कहा कि मौैसम की मार से कई किसानों की चना फसल खराब हुई है। कुछ जगह पैदावर ठीक है तो अधिक्तर जगह एवरेज कम बैठ रहा है। जिला को कृषि कर्मण अवार्ड दिलाने वाले जिले के किसानों को फसल का उचित दाम मिलना चाहिए। स्टाक लिमिट से फसल के भाव पर विपरित प्रभाव पड़ेगा। दाम कम मिलेंगे। इस पर सरकार को विचार करना चाहिए।

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