अनोखा तीर, खंडवा। अजब है यह शहर, गजब है यह शहर, संवेदनशील हैं यहां के लोग। सनातन की ऊर्जा से सिंचित इस शहर की सेवाभावना शुक्रवार को खंडवा में दिखी। जिस व्यक्ति ने फ्रांस जैसे देश में जन्म लिया उसके स्वर्ग जाने का रास्ता खंडवा से तय हुआ। यहां की सामाजिक संस्था निमाड़ सांस्कृतिक समिति, प्रशासन के प्रतिनिधि, संत और समाजसेवक इस हवन रूपी क्रियाकर्म में शामिल हुए।
स्टीफन की शॉर्ट स्टोरी
शार्ट में कहानी बताना जरूरी है, कि स्टीफन नाम के फ्रांस निवासी व्यक्ति को हिंदू और सनातन से लगाव हो गया। देश के तीर्थों में घूमते हुए ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पहुंच गए। नियति ने उनकी यात्रा शायद यही तक तय की थी। हृदयाघात से खंडवा अस्पताल लाते हुए उनका निधन हो गया।
परिजन बोले, संत हो गया था बेटा
दूतावास के माध्यम से फ्रांस में संपर्क किया गया। स्टीफन के परिजनों ने कहा कि वह तो संत हो गया था। हिंदू रीति रिवाज से वहीं अंतिम संस्कार कर दिया जाए। संतो के हाथों शायद मोक्ष लिखा हुआ था। पूरे रिवाज से अंतिम यात्रा निकाली और किशोर कुमार मुक्तिधाम पर क्रिया कर्म किया गया।
अनजान, फिर भी मन उदास
स्टीफन चिरनिद्रा में लीन थे। यहां पहुंचे लोगों में जीते जी उन्हें कोई नहीं जानता था। फिर भी सबके मन उदास थे। उन्हें हाथ जोड़कर अंतिम विदाई दी गई। मामला दूतावास और विदेश से जुड़ा था, इसलिए एसडीएम बजरंग बहादुर, मोघट टीआई भी मौजूद रहे।
ये सनातन की परिभाषा!
समिति के भूपेंद्र चौहान ने कहा, यही सनातन की परिभाषा है। यही हमारे संस्कार हैं। उनकी अंतिम क्रिया कितने तरीके से हुई। यह शायद फ्रांस में भी संभव नहीं होता। समाजसेवी सुनील जैन ने कहा, कि स्टीफन शायद मृत्यु के बाद किस्मत वाले थे, जो व्यवस्थित और हिंदू रिवाज के संस्कार ओढ़कर यमलोक गए।
प्रशासन की मुस्तैदी
एसडीएम बजरंग बहादुर का कहना है कि स्टीफन से जुड़ा मामला प्रशासन ने संवेदनशीलता से लिया। दूतावास और विदेशी नागरिक होने के कारण सब कुछ वहां के निर्देशों पर किया। प्रशासन ने संतों के माध्यम से यह प्रक्रिया कराई।
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