म.प्र. लेखक संघ की मासिक काव्य गोष्ठी संपन्न

 

अनोखा तीर, हरदा। म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई हरदा की मासिक गोष्ठी प्रख्यात साहित्यकार एवं समाजसेवी मेजर डॉ.प्रभुशंकर शुक्ल की अध्यक्षता व आर.बी. सगर प्रदेश मीडिया प्रभारी वरिष्ठ नागरिक पेंशनर एसोसिएशन के मुख्य आतिथ्य में जिलाध्यक्ष जीआर गौर के निवास पर सम्पन्न हुई। गोष्ठी का शुभारंभ मॉं सरस्वती की पूजा-अर्चना से हुआ। वरिष्ठ साहित्यकार रतन सिंह सोलंकी द्वारा सस्वर मॉं सरस्वती की वंदना गाई गई। तदोपरांत कविगण द्वारा बसंत पर्व पर एक से एक सरस और उत्कृष्ट रचनायें प्रस्तुत की गई। बृजमोहन अग्रवाल द्वारा- टूट जाते हैं वो लोग जो अकड़ कर रहते हैं। बालमुकुंद ओझा द्वारा- हे शारदे मां तुमको मेरे दिल ने पुकारा है। सुभाष सिटोके द्वारा- प्रेम ही तो है नदी पी इसे एहसास से जी रही पूरी सदी। सावन सिटोके द्वारा- गण की हठधर्मिता आज पड़ रही तंत्र पर भारी जय हो गणतंत्र तुम्हारी। मंसूर अली मंसूर द्वारा- वो जिस किताब में सूखे गुलाब रक्खे हैं उसी किताब में उसके जवाब रखे हैं। त्रिलोक शर्मा द्वारा- कितनी प्यारी प्यारी आंखें दिल के हाथों हारी आंखें एक समंदर इनके भीतर इसीलिये तो खारी आंखें। गोकुल गौर द्वारा- ये गुलाबी गुलाबी लहर शीत की आ रही है सुहानी ऋतु प्रीत की। जयकृष्ण चांडक द्वारा- देख समझकर भी चुप हैं विष को पीकर भी चुप हैं आंख का रोना दिखता है जख्म सिसककर भी चुप हैं। गोष्ठी के संचालक कवि शिरीष (एटलस) द्वारा- तुम मंदिर मंदिर देव मनाओ तुम्हारी मर्जी हमें बुझाकर दीप जलाओ तुम्हारी मर्जी। दुर्गेश नन्दन शर्मा द्वारा- क्या क्यों किस कौन को जीवन के मौन को एक बार फिर गुनगुना दोगे क्या प्रिय बसंत। प्रभुशंकर शुक्ल द्वारा – धरती ने ओढ़ी सतरंगी चुनरिया हर धनिया राधा हर होरी सॉंवरिया सुनाकर खूब तालियॉं बटोरी। संस्था के उपाध्यक्ष सुभाष सिटोके की प्रेरणा से बिजली विभाग के दो उभरते हुये साहित्यकारों राजेश गौर और विवेक माणिक द्वारा संस्था की आजीवन सदस्यता ग्रहण की गई। अंत में जीआर गौर द्वारा माह जनवरी में संपन्न वार्षिकोत्सव के आय-व्यय का लेखाजोखा प्रस्तुत किया गया। साथ ही कार्यक्रम के लिए सभी का आभार व्यक्त किया गया।

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